कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे,
लताओं में बृज की गुजारा करेंगे।
कहीं तो मिलेंगे वो बांके बिहारी,
कहीं तो मिलेंगे वो बांके बिहारी,
उन्ही के चरण चित लगाया करेंगे
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे,
लताओं में बृज की गुजारा करेंगे।
बना करके हृदय में हम प्रेम मंदिर
वहीँ उनको झूला झुलाया करेंगे
॥ कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे...॥
उन्हें हम बिठाएंगे आँखों में दिल में
उन्ही से सदा लौ लगाया करेंगे
॥ कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे...॥
जो रूठेंगे हमसे वो बांके बिहारी
चरण को पकड़ हम मनाया करेंगे
॥ कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे...॥
उन्हें प्रेम डोर से हम बाँध लेंगे
तो फिर वो कहा भाग जाया करेंगे
॥ कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे...॥
उन्होंने छुडाये थे गज के वो बंधन
वही मेरे संकट मिटाया करेंगे
॥ कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे...॥
उन्होंने नचाया था ब्रह्माण्ड सारा
मगर अब उन्हें हम नचाया करेंगे
॥ कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे...॥
भजेंगे जहा प्रेम से नन्द नंदन
कन्हैया छवि को दिखाया करेंगे
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे,
लताओं में बृज की गुजारा करेंगे।
कहीं तो मिलेंगे वो बांके बिहारी,
कहीं तो मिलेंगे वो बांके बिहारी,
उन्ही के चरण चित लगाया करेंगे
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे,
लताओं में बृज की गुजारा करेंगे।
बनेंगे सारे बिगड़े काम,
प्रभु श्री राम को पूजो,
बालाजी बालाजी,
मेरी बिगड़ी बना दो मेरे बालाजीं,
दीपोत्सव यानी दिवाली के ठीक 10वें दिन एक और पर्व मनाया जाता है, जो हमें सिखाता है कि कैसे हमेशा बुराई पर अच्छाई की विजय होती है।
आंवला नवमी व्रत आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था और साथ ही आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा भी की थी।