कन्हैया से नज़रे,
मिला के तो देखो,
सांवरिये से नज़रे,
मिला के तो देखो,
दिलों जान इनपे,
लुटा के तो देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
नैनो में इनके,
छुपा कोई जादू,
दिल पे रहेगा,
ना कोई काबू,
जरा पास इनके,
आके तो देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
सांवली सूरत,
कैसी ये दमके,
ज्यूँ पूनम का,
चंदा चमके,
चेहरे पे नज़रे,
टिका के तो देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
मुरली अधर पे,
यूँ सज रही है,
तान रसीली,
यूँ बज रही है,
मुरली में मन को,
उलझा के देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
रह जाए ना,
‘नंदू’ धोखा,
इस जीवन का,
क्या है भरोसा,
बहे प्रेम नदियां,
नहा के तो देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
कन्हैया से नज़रे,
मिला के तो देखो,
सांवरिये से नज़रे,
मिला के तो देखो,
दिलों जान इनपे,
लुटा के तो देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन, ऊषा अर्घ्य, इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक पल होता है। इस दिन, व्रती महिलाएं सूर्य देव को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करती हैं।
सनातन धर्म में दीपावली का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस त्योहार के लिए हर घर में साफ सफाई और सजावट शुरू हो जाती है।
पूरे भारतवर्ष में दीपावली का त्योहार बहुत ही आनंद, उत्साह और उम्मीद के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु विभिन्न प्रकार के जप- तप, हवन एवं पूजन किए जाते हैं।
समुद्र मंथन के दौरान जब असुर और देवताओं में स्पर्धा हो रही थी, तब माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। माता लक्ष्मी के प्रताप से समस्त जगत बिजली की तरह जगमगा उठा था।