कन्हैया से नज़रे,
मिला के तो देखो,
सांवरिये से नज़रे,
मिला के तो देखो,
दिलों जान इनपे,
लुटा के तो देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
नैनो में इनके,
छुपा कोई जादू,
दिल पे रहेगा,
ना कोई काबू,
जरा पास इनके,
आके तो देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
सांवली सूरत,
कैसी ये दमके,
ज्यूँ पूनम का,
चंदा चमके,
चेहरे पे नज़रे,
टिका के तो देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
मुरली अधर पे,
यूँ सज रही है,
तान रसीली,
यूँ बज रही है,
मुरली में मन को,
उलझा के देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
रह जाए ना,
‘नंदू’ धोखा,
इस जीवन का,
क्या है भरोसा,
बहे प्रेम नदियां,
नहा के तो देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
कन्हैया से नज़रे,
मिला के तो देखो,
सांवरिये से नज़रे,
मिला के तो देखो,
दिलों जान इनपे,
लुटा के तो देखो,
कन्हैया से नज़रें,
मिला के तो देखो ॥
सनातन धर्म में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शबरी जयंती मनाई जाती है। इस दिन व्रत और पूजन का विधान है। इस दिन भगवान राम के साथ माता शबरी का पूजन किया जाता है।
माता शबरी रामायण की एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, जिन्होंने भगवान राम की भक्ति में अपना जीवन समर्पित किया था। शबरी ने भगवान राम और माता सीता की प्रतीक्षा में वर्षों तक वन में निवास किया था।
शारदीय नवरात्र के बाद 10वें दिन दशहरे का त्योहार देश भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था और भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।
हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयदशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाता है जो कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।