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कांवड़ सजा के चालो,
सावन ऋतू है आई,
भक्तो को शिव ने अपने,
आवाज है लगाई,
कावड़ सजा के चालो,
सावन ऋतू है आई ॥
सावन की ऋतू है प्यारी,
भक्तो करो तयारी,
शिव गौरा से मिलन की,
मन में उमंग भारी,
मन में उमंग भारी,
तन हो गया है फागण,
मन में बसंत छाई,
कावड़ सजा के चालो,
सावन ऋतू है आई ॥
जीवन है तेरा छोटा,
बातों में ना लगाना,
जब जब भी आए सावन,
कांवड़ शिव चरण चढ़ाना,
जिस भक्त के ये भाव,
जिस भक्त के ये भाव,
उसने शिव कृपा है पाई,
कावड़ सजा के चालो,
सावन ऋतू है आई ॥
आदेश शिव का होता,
दर्शन को सभी है पाते,
शिव की कृपा जो होती,
कांवड़ तभी उठाते,
हमने भी शिव कृपा से,
हमने भी शिव कृपा से,
जीवन में कृपा ये पाई,
कावड़ सजा के चालो,
सावन ऋतू है आई ॥
कांवड़ सजा के चालो,
सावन ऋतू है आई,
भक्तो को शिव ने अपने,
आवाज है लगाई,
कावड़ सजा के चालो,
सावन ऋतू है आई ॥
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