कर दो दूर प्रभु, मेरे मन में अँधेरा है (Kardo Dur Prabhu Mere Mann Me Andhera Hai)

कर दो दूर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है,

जब से तेरी लगन लगी,

हुआ मन में सवेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


हरी तुमसे बिछड़े हुए,

कई युग बीत गए,

अब आन मिलो प्रियतम,

मेरे मन में प्यार तेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


इतना तो बता दो मुझे,

मेरी मंज़िल है कहाँ,

अब ले चलो मुझको,

जहाँ संतो का डेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


दर्शन पाये बिना,

दर से हटेंगे नहीं,

अब हमने डाल लिया,

तेरे दर पे डेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


जब से तेरी लगन लगी,

मेरे मन की कलियाँ खिलीं,

अब जाग उठी किस्मत,

हुआ दर्शन तेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


कर दो दूर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है,

जब से तेरी लगन लगी,

हुआ मन में सवेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥

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होली रे होली बरसाने की होली (Holi Re Holi Barsane Ki Holi)

राधा कृष्ण ने मिल कर खेली बरसाने की होली,
संग किशन के ग्वाल सखा है सखियाँ राधा टोली,

लचकि लचकि आवत मोहन (Lachaki Lachaki Awat Mohan)

लचकि लचकि आवत मोहन,
आवे मन भावे

अगर प्यार तेरे से पाया ना होता (Agar Pyar Tere Se Paya Na Hota)

​अगर प्यार तेरे से पाया ना होता,
तुझे श्याम अपना बनाया ना होता ॥

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी (Jyeshth Maas Ki Shukla Paksh Ki Nirjala Ekaadashi)

एक समय महर्षि वेद व्यास जी महाराज युधिष्ठिर के यहाँ संयोग से पहुँच गये। महाराजा युधिष्ठिर ने उनका समुचित आदर किया, अर्घ्य और पाद्य देकर सुन्दर आसन पर बिठाया, षोडशोपचार पूर्वक उनकी पूजा की।

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