कारोबार मेरो बालाजी चलावे,
मेरी बैलेंस शीट बालाजी बणावे,
जिमे कदे भी घाटों आवे ना,
आवे ना,
कारोबार मेरो बालाजी चलावें,
मेरी बैलेंस शीट बालाजी बणावे ॥
मैं तो कीर्तन में रम जाऊँ,
मेरी गद्दी पे बाबो विराजे,
मुझे चिंता फिकर है क्या की,
घोटे वालो है जद म्हारे सागे,
लेणे देणे को हिसाब,
राखे हाथा में ही आप,
मेरी रोकड़ियो रोज मिलावे जी,
मिलावे जी,
कारोबार मेरो बालाजी चलावें,
मेरी बैलेंस शीट बालाजी बणावे ॥
मेरे धंदे में लागत कुछ ना,
पर फिर भी है मुझको सवाई,
मैं बैठ्यो मौज उड़ाउँ,
करूँ राम नाम की कमाई,
मेरो साथी लखदातार,
मेरा भरया रहे भंडार,
मेरी विपदा में आड़ो आवे जी,
आवे जी,
कारोबार मेरो बालाजी चलावें,
मेरी बैलेंस शीट बालाजी बणावे ॥
अन्न धन लक्ष्मी को दाता,
मेरो बाबो सालासर वालो,
मैं ‘हर्ष’ भला क्या सोचूं,
मेरी बगिया को है यो रखवालो,
मेरे बाबा की के बात,
राखे सिर पर मेरे हाथ,
मेरा पग पग पे साथ निभावे जी,
निभावे जी,
कारोबार मेरो बालाजी चलावें,
मेरी बैलेंस शीट बालाजी बणावे ॥
कारोबार मेरो बालाजी चलावे,
मेरी बैलेंस शीट बालाजी बणावे,
जिमे कदे भी घाटों आवे ना,
आवे ना,
कारोबार मेरो बालाजी चलावें,
मेरी बैलेंस शीट बालाजी बणावे ॥
हमारा देश धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का देश है। हमारी उत्सवप्रियता और उत्सव धर्मिता के सबसे श्रेष्ठतम उदाहरणों में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का अपना महत्व है।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देव शयनी एकादशी को भगवान नारायण विष्णु योग मुद्रा यानी शयन मुद्रा में चार माह के लिए चले जाते हैं।
देव उठनी एकादशी पर सनातन धर्म में तुलसी विवाह का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु का विवाह गन्ने के मंडप में होता है। इसकी भी अलग ही मान्यता है और इससे संबंधित कथाएं भी हैं।
कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी के दिन से सभी मंगल कार्य आरंभ करने की परंपरा है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद योग निद्रा से जागते हैं और उनके जागते ही चातुर्मास भी समाप्त होता है।