करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं,
स्वीकार करो माँ,
मझधार में, मैं अटकी,
बेडा पार करो माँ,
बेडा पार करो माँ,
हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥
बैठी हूँ बड़ी आशा से,
तुम्हारे दरबार में,
क्यूँ रोये तुम्हारी बेटी,
इस निर्दयी संसार में,
पलटा दो मेरी भी किस्मत,
पलटा दो मेरी भी किस्मत,
चमत्कार करो माँ ।
मझधार में, मैं अटकी,
बेडा पार करो माँ,
बेडा पार करो माँ,
हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥
मेरे लिए तो बंद है,
दुनिया की सब राहें,
कल्याण मेरा हो सकता है,
माँ आप जो चाहें,
चिंता की आग से मेरा,
चिंता की आग से मेरा,
उद्धार करो माँ ।
मझधार में, मैं अटकी,
बेडा पार करो माँ,
बेडा पार करो माँ,
हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥
दुर्भाग्य की दीवार को,
तुम आज हटा दो,
मातेश्वरी वापिस मेरे,
सौभाग्य को ला दो,
इस अभागिनी नारी से,
इस अभागिनी नारी से,
कुछ प्यार करो माँ ।
मझधार में, मैं अटकी,
बेडा पार करो माँ,
बेडा पार करो माँ,
हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥
करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं,
स्वीकार करो माँ,
मझधार में, मैं अटकी,
बेडा पार करो माँ,
बेडा पार करो माँ,
हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥
सप्त नदियों में कावेरी नदी का भी विशेष स्थान है। तमिलनाडु और कर्नाटक में ये अपने जीवनदायनी गुणों की वजह से प्रसिद्ध है। कावेरी नदी को भगवान दत्तात्रेय से जोड़कर देखा जाता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं की 'पवित्र सात नदियों' में गोदावरी नदी का उल्लेख मिलता है। गंगा और यमुना के अलावा गोदावरी का भी भारत में काफी महत्त्व है। यह नदी उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृतियों का संगम है।
गुरु द्रोणाचार्य और कृपी के पुत्र अश्वत्थामा महाभारत काल से इस धरती पर मौजूद है।
राजा बली को महाबलि, इंद्रसेन या मावेली के नाम से भी जाना जाता है, बली एक दैत्य राजा थे लेकिन दैत्यों से जुड़े होने के बाद भी उनका वर्णन एक दयालु और उदार राजा के रूप में किया जाता है जो एक बहुत बड़े दानी होने के साथ भगवान विष्णु के परम भक्त भी रहे।