सुनके भक्तो की पुकार,
होके नंदी पे सवार,
काशी नगरी से,
आए है शिव शम्भू,
सुनके भक्तो की पुकार ॥
भस्मी रमाए देखो,
डमरू बजाए,
कैसा निराला भोले,
रूप सजाए,
गले में है सर्पो का हार,
होके नंदी पे सवार,
काशी नगरीं से,
आए है शिव शम्भू,
सुनके भक्तो की पुकार ॥
मृगछाला पहने है,
जटाओं में गंगा,
चमचम चमकता है,
माथे पे चंदा,
गौरी मैया के श्रृंगार,
होके नंदी पे सवार,
काशी नगरीं से,
आए है शिव शम्भू,
सुनके भक्तो की पुकार ॥
देवों के देव इनकी,
महिमा महान है,
भोले भक्तो के ये तो,
भोले भगवान है,
करने भक्तो का उद्धार,
होके नंदी पे सवार,
काशी नगरीं से,
आए है शिव शम्भू,
सुनके भक्तो की पुकार ॥
सुनके भक्तो की पुकार,
होके नंदी पे सवार,
काशी नगरी से,
आए है शिव शम्भू,
सुनके भक्तो की पुकार ॥
गुड़ी पड़वा का पर्व हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, जो इस साल 30 मार्च को पड़ रहा है।
हिंदू धर्म में नवरात्रि के दिनों को बेहद पवित्र और खास माना जाता है। नवरात्रि का त्योहार साल में चार बार आता है। चैत्र माह में आने वाली प्रत्यक्ष नवरात्रि बेहद खास होती है, क्योंकि इसी महीने से सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी।
गणगौर व्रत हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है, इसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं।
गणगौर व्रत भारतीय संस्कृति में स्त्रियों की श्रद्धा, प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।