कावड़िया ले चल गंग की धार ॥
दोहा – भस्म रमाए बैठे है शंकर,
सज धज के दरबार,
कावड़िया ले आओ कावड़,
राह तके सरकार ॥
कावड़िया ले चल गंग की धार,
जहाँ बिराजे भोले दानी,
करके अनोखा श्रृंगार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार ॥
अंग भभुति रमाए हुए है,
माथे चंद्र सजाए हुए है,
भंग तरंग में रहने वाले,
मस्त मलंग वो रहने वाले,
मेरे महांकल सरकार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार ॥
शंभू तेरे दर आए है,
कावड़िया कावड़ लाए है,
जपते हर हर बम बम भोले,
झूम झूम मस्ती में डोले,
करते जय जय कार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार ॥
कावड़ियां ले चल गंग की धार,
जहाँ बिराजे भोले दानी,
करके अनोखा श्रृंगार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार ॥
हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या का विशेष महत्व है, जो पितरों की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए समर्पित मानी जाती है। इस दिन पितरों की पूजा करना, तर्पण देना और धूप देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, ,br> बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा,
कभी राम बनके कभी श्याम बनके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह अमावस्या पितरों की शांति और पूजा-पाठ के लिए समर्पित है।