खाटू वाले श्याम हमारे,
भक्तों के तू काज संवारे,
गिरते हुए को,
पल में संभाले तू,
सांवरे सांवरे सांवरे सांवरे ॥
जिसने भी चौखट पे अर्जी लगाई,
पल भर में बाबा ने कर ली सुनाई,
तेरी महिमा तू ही जाने,
हम तो हो गए तेरे दीवाने,
रखना तू हम पर दया,
खाटू वालें श्याम हमारे,
भक्तों के तू काज संवारे,
गिरते हुए को,
पल में संभाले तू,
सांवरे सांवरे सांवरे सांवरे ॥
श्याम तेरे भक्तों को तेरा सहारा,
तेरे भरोसे ही चलता गुजारा,
सबकी नैया तेरे हवाले,
गहरे भंवर से तू ही निकाले,
खाते है तेरा दिया,
खाटू वालें श्याम हमारे,
भक्तों के तू काज संवारे,
गिरते हुए को,
पल में संभाले तू,
सांवरे सांवरे सांवरे सांवरे ॥
सांवरे की घर घर में ज्योत जले है,
लाखों दिलों में तेरी भक्ति पले है,
सांचा जग में नाम तिहारा,
हर्ष हमेशा देना सहारा,
हमको ना देना भुला,
खाटू वालें श्याम हमारे,
भक्तों के तू काज संवारे,
गिरते हुए को,
पल में संभाले तू,
सांवरे सांवरे सांवरे सांवरे ॥
खाटू वाले श्याम हमारे,
भक्तों के तू काज संवारे,
गिरते हुए को,
पल में संभाले तू,
सांवरे सांवरे सांवरे सांवरे ॥
परशुराम जयंती हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह वही तिथि है जब भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए छठा अवतार लिया था, जो भगवान परशुराम है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है और इस दिन को बिना पंचांग देखे कोई भी नया कार्य शुरू करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता हैI
अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि स्वयं में ही अबूझ मानी जाती है, अर्थात् इस दिन किसी भी शुभ कार्य को बिना मुहूर्त के किया जा सकता है।