कितने दिनों के बाद है आई,
भक्तो रात भजन की,
अब आ भी जा माँ,
आस लगाई आई,
भक्तो रात भजन की ॥
सूरज चाँद सितारे हरदम,
तेरा माँ गुण गाते,
दूर दूर से भक्त माँ तेरे,
दर्शन पाने आते,
तेरे चरणों में माँ,
ज्योत जलाई आई,
भक्तो रात भजन की,
कितने दिनो के बाद है आई,
भक्तो रात भजन की ॥
दुखियों का दुःख दूर करे माँ,
दुष्टों का संहार करे,
जो माँ को श्रद्धा से ध्याये,
माँ उसका उद्धार करे,
सच कहती हूँ है ये,
ममता की माई आई,
भक्तो रात भजन की,
कितने दिनो के बाद है आई,
भक्तो रात भजन की ॥
इस जग में सबकुछ है पराया,
झूठी है सब माया,
धूल जाते है पाप सभी जब,
माँ का दर्शन पाया,
बस दर्शन पाले तेरा,
शेरावाली माई आई,
भक्तो रात भजन की,
कितने दिनो के बाद है आई,
भक्तो रात भजन की ॥
कितने दिनों के बाद है आई,
भक्तो रात भजन की,
अब आ भी जा माँ,
आस लगाई आई,
भक्तो रात भजन की ॥
दिवाली पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। साफ-सफाई, शुभ रंगों और विशेष भोग से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। श्री यंत्र की स्थापना और दीप प्रज्वलन से सुख-समृद्धि का वास होता है।
देव दिवाली देवताओं की दिवाली मानी जाती है। यह दिवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाती है। यह पर्व भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाने की खुशी में मनाया जाता है।
दिवाली पूजा के बाद लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को सही तरीके से संभालना बेहद महत्वपूर्ण है। पुरानी मूर्तियों को सम्मान के साथ विसर्जित करना और नई मूर्तियों को पूजा स्थल पर स्थापित करना शुभ माना जाता है। गलत तरीके से मूर्तियों का उपयोग करने से पूजा का फल नष्ट हो सकता है।
हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व पांच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से ही होती है। इसके बाद रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे पर्व आते हैं।