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क्या लेके आया जग में क्या लेके जाऐगा (Kya Leke Aaya Bande Kya Leke Jayega)

क्या लेके आया जग में क्या लेके जाऐगा (Kya Leke Aaya Bande Kya Leke Jayega)

क्या लेके आया बन्दे,

क्या लेके जायेगा,

दो दिन की जिन्दगी है,

दो दिन का मेला ॥


दोहा – आया है सो जाएगा,

राजा रंक फकीर,

कोई सिंहासन चढ़ चले,

कोई बंधे जंजीर।


क्या लेके आया बन्दे,

क्या लेके जायेगा,

दो दिन की जिन्दगी है,

दो दिन का मेला ॥


ईस जगत सराऐ में,

मुसाफीर रहना दो दिन का,

क्यों विर्था करे गुमान,

मुरख इस धन और जोबन का,

बंद मुट्ठी आया जग में,

खाली हाथ जाएगा,

दो दिन की जिन्दगी है,

दो दिन का मेला ॥


वो कहाँ गए बलवान,

तीन बार धरती तोलणियाँ,

ज्यारी एडी पड़ती धाक,

नाही कोई शामें बोलणियाँ,

निर्भय डोलणियाँ वे तो,

गया रे अकेला,

दो दिन की जिन्दगी है,

दो दिन का मेला ॥


नहीं छोड़ सक्या कोई,

माया गिणी गिणाई ने,

गढ किला री निव छोड़ गया,

चिणी चिणाई ने,

चिणी रे चिणाई रह गई,

गया है अकेला,

दो दिन की जिन्दगी है,

दो दिन का मेला ॥


ईस काया का है भाग्य,

भाग्य बिन पाया नहीं जाता,

कहे ‘शर्मा’ बिना नसिब,

तोड़ फल खाया नहीं जाता,

भवसागर से तर ले बन्दे,

हरी गुण गायले,

दो दिन की जिन्दगी है,

दो दिन का मेला ॥


क्या लेके आया बन्दे,

क्या लेके जायेगा,

दो दिन की जिन्दगी है,

दो दिन का मेला ॥

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पापमोचनी एकादशी व्रत के नियम

पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, और मोक्ष की प्राप्ति करता है।

पापमोचनी एकादशी पर तुलसी पूजन कैसे करें

पापमोचनी एकादशी भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है जो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह उपवास सभी पापों से छुटकारा पाने और मोक्ष प्राप्त करने के लिये रखा जाता है।

पापमोचनी एकादशी विष्णु पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी व्रत पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और इसे पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत माना गया है। पापमोचनी एकादशी व्रत का वर्णन स्कंद पुराण में किया गया है, जहां इस बात की चर्चा की गई है, की इस व्रत का पालन करने से मनुष्य अपने पिछले जन्मों के दोषों से भी मुक्त हो सकता है।

विष्णु चालीसा पाठ

शास्त्रों के अनुसार, पापमोचनी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करने से भक्त के सभी पाप समाप्त होते हैं।

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