क्यों छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत,
भक्तों को यूँ सताने की,
भक्तों को यूँ सताने की,
अच्छी नहीं है आदत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
माना की मुरली वाले,
बांकी तेरी अदा है,
तेरी सांवरी छवि पे,
सारा ये जग फ़िदा है,
लेकिन हो कारे कारे,
लेकिन हो कारे कारे,
ये भी तो है हकीकत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
टेढ़ी तेरी छवि है,
तिरछी है तेरी आँखे,
टेढ़ा मुकुट है सर पे,
टेढ़ी है तेरी बातें,
करते हो तुम क्यों सांवरे,
करते हो तुम क्यों सांवरे,
भक्तो से ये शरारत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
हमको बुला के मोहन,
क्यों पर्दा कर लिया है,
हम गैर तो नहीं है,
हमने भी दिल दिया है,
देखूं मिला के नज़रे,
देखूं मिला के नज़रे,
दे दो जरा इजाजत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
दिलदार तेरी यारी,
हमको जहाँ से प्यारी,
तेरी सांवरी सलोनी,
सूरत पे ‘रोमी’ वारि,
पर्दा जरा हटा दो,
पर्दा जरा हटा दो,
कर दो प्रभु इनायत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
क्यों छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत,
भक्तों को यूँ सताने की,
भक्तों को यूँ सताने की,
अच्छी नहीं है आदत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
वैशाखी भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे विशेष रूप से पंजाब और उत्तर भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख महीना हिन्दू वर्ष का का दूसरा महीना होता है। यह महीना विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।
सनातन धर्म में वैशाख महीने का बहुत ही अधिक धार्मिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने वैशाख महीने को सबसे श्रेष्ठ महीनों में से एक बताया है।
वर्ष 2025 का चौथा महीना चल रहा है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हिन्दू वर्ष का पहला महीना चैत्र चल रहा है, और कुछ ही दिनों में यह खत्म भी होने वाला है।