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लागी तुम संग यारी मेरे बांके बिहारी (Laagi Tum Sang Yaari Mere Banke Bihari)

लागी तुम संग यारी मेरे बांके बिहारी (Laagi Tum Sang Yaari Mere Banke Bihari)

लागी तुम संग यारी,

मेरे बांके बिहारी,

बांके बिहारी, मेरे कुंज बिहारी,

लागीं तुम संग यारी,

मेरे बांके बिहारी ॥


कटी में पीताम्बर,

गले में है माला,

मुकुट को धारण,

किए है गोपाला,

घूंघराली लट कारी कारी,

मेरे बांके बिहारी,

लागीं तुम संग यारी,

मेरे बांके बिहारी ॥


साँवरी सूरत के,

दर्शन तुम्हारे,

मुरली मनोहर,

जबसे निहारे,

बन बैठे तेरे पुजारी,

मेरे बांके बिहारी,

लागीं तुम संग यारी,

मेरे बांके बिहारी ॥


निधिवन में नित,

रास रचावे,

सब सखियाँ मिल,

गीत सुनावे,

नाचे है बारी बारी,

मेरे बांके बिहारी,

लागीं तुम संग यारी,

मेरे बांके बिहारी ॥


श्री हरिदास के,

प्यारे हो तुम,

मेरी भी आँखों के,

तारे हो तुम,

चरण कमल बलिहारी,

मेरे बांके बिहारी,

लागीं तुम संग यारी,

मेरे बांके बिहारी ॥


लागी तुम संग यारी,

मेरे बांके बिहारी,

बांके बिहारी, मेरे कुंज बिहारी,

लागीं तुम संग यारी,

मेरे बांके बिहारी ॥

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अक्षय तृतीया मूलांक ज्योतिष

हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता हैI

अक्षय तृतीया पर इन पांच स्थानों पर जलाएं दीपक

अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि स्वयं में ही अबूझ मानी जाती है, अर्थात् इस दिन किसी भी शुभ कार्य को बिना मुहूर्त के किया जा सकता है।

अक्षय तृतीया 2025 कब है

भारत में मनाए जाने वाले त्योहार जीवन को अध्यात्म, आस्था और संस्कारों से जोड़ते हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पर्व है अक्षय तृतीया, जिसे ‘आखा तीज’ भी कहा जाता है।

अक्षय तृतीया के उपाय

अक्षय तृतीया को ‘अखा तीज’ भी कहा जाता है, जो वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल कभी भी समाप्त नहीं होता है। इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, बुधवार को मनाई जाएगी।

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