लंका में बज गया रे डंका श्री राम का(Lanka Mein Baj Gaya Re Danka Shree Ram Ka)

मैं माँ अंजनी का लाला श्री राम भक्त मतवाला,

मेरा सोटा चल गया रे बजा डंका राम का,

लंका में बज गया रे डंका श्री राम का ॥


मैं राम दूत बन आया सीता का पता लगाया,

तू अहंकार में अंधा तू ने अपना रौब जमाया,

बाहर अन्दर से काला करता रहा गड बड़ झाला,

मेरा सोटा चल गया रे बजा डंका राम का,

लंका में बज गया रे डंका श्री राम का ॥


मुझे जोर से भूख लगी थी सोचा थोड़े फल खालू,

ये सोच के पेड़ चढ़ा था इस पेड़ की आग बुझालू,

किया जम्बू ने घोटाला मेरे हाथ से छीना निवाला,

मेरा सोटा चल गया रे बजा डंका राम का,

लंका में बज गया रे डंका श्री राम का ॥


मैंने अक्षय को है मारा आ मेघनाथ ललकारा,

जब एक चली ना उसकी ब्रह्मास्त्र मुझ पे डारा,

ब्रह्मा का मान रख डाला में बंध गया बजरंग बाला,

मेरा सोटा चल गया रे बजा डंका राम का,

लंका में बज गया रे डंका श्री राम का ॥


फिर तू गुस्से में आया और मुझे खूब धमकाया,

मेरी पूँछ में आग लगाई ना ज्यादा समय गवाया,

वहाँ भड़की ऐसी ज्वाला लंका का हुआ दिवाला,

मेरा सोटा चल गया रे बजा डंका राम का,

लंका में बज गया रे डंका श्री राम का ॥


कहे भूलन लंक जलाई तेरी अकल में कुछ ना आई,

लंका विध्वंस करके अब लेट गया अनुयाई,

ना जपी राम की माला हो गया कुटुम्ब का गाला,

मेरा सोटा चल गया रे बजा डंका राम का,

लंका में बज गया रे डंका श्री राम का ॥

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राम पे जब जब विपदा आई(Ram Pe Jab Jab Vipada Aai)

राम पे जब जब विपदा आई,
कौन बना रखवाला,

श्री लड्डू गोपाल चालीसा (Shri Laddu Gopal Chalisa)

श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल |
वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल ||

राम नाम तू रटले बन्दे, जीवन है ये थोडा(Ram Naam Tu Ratle Bande Jeevan Hai Ye Thoda)

राम नाम तू रटले बन्दे,
जीवन है ये थोडा,

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के यम-नियम

हर साल पौष महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि अखुरथ संकष्टी चतुर्थी होती है। हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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