लाऊँ कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया,
ढूंढ ढूंढ मैं तो हार गया,
मैं तो हार गया,
मिली ना तेरी भंगिया,
लाऊं कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥
छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,
आप कहो झट से ल्याऊँ,
चांदी के पाटो पर बैठो,
कंचन थाल मैं सजवाऊं,
मानो मानो जी भंगिया के रसिया,
मानो मानो जी भंगिया के रसिया,
मिली ना तेरी भंगिया,
लाऊं कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥
आप कहो तो भोले शंकर,
माँ गौरा को बुलवाऊं,
कार्तिक जी गणपति जी को मैं,
तुरंत संदेसा भिजवाऊं,
बोलो बोलो जी कैलाश बसिया,
बोलो बोलो जी कैलाश बसिया,
मिली ना तेरी भंगिया,
लाऊं कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥
चंद्र निराला मस्तक सोहे,
अंग विभूति रमी हुई,
नाग भयंकर गले में लिपटे,
गंग जटा से बहती हुई,
डमरू बजावे शिव भोले जोगिया,
डमरू बजावे शिव भोले जोगिया,
मिली ना तेरी भंगिया,
लाऊं कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥
लाऊँ कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया,
ढूंढ ढूंढ मैं तो हार गया,
मैं तो हार गया,
मिली ना तेरी भंगिया,
लाऊं कहाँ से,
भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥
शनिदेव को ग्रहों का राजा कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनिवार के दिन भगवान शनिदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिवत शनिदेव की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और कुंडली में साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है।
हिंदू धर्म में रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन भक्त सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं व्रत रखते हैं। सूर्य देव को 9 ग्रहों में राजा माना गया है और इनकी पूजा से जीवन में कई सकारात्मक बदलाव हो सकते हैं।
हिंदू धर्म में भगवान परशुराम महान योद्धा और ऋषियों में से एक माने जाते हैं। वे भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं, जिन्हें धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश के लिए जाना जाता है।
परशुराम जयंती हर साल भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती के रूप में अक्षय तृतीया की शुभ तिथि पर मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 29 अप्रैल को पड़ रहा है।