लाऊँ कहाँ से, भोलेनाथ तेरी भंगिया(Lau Kaha Se Bhole Nath Teri Bhangiya)

लाऊँ कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया,

ढूंढ ढूंढ मैं तो हार गया,

मैं तो हार गया,

मिली ना तेरी भंगिया,

लाऊं कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥


छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,

आप कहो झट से ल्याऊँ,

चांदी के पाटो पर बैठो,

कंचन थाल मैं सजवाऊं,

मानो मानो जी भंगिया के रसिया,

मानो मानो जी भंगिया के रसिया,

मिली ना तेरी भंगिया,

लाऊं कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥


आप कहो तो भोले शंकर,

माँ गौरा को बुलवाऊं,

कार्तिक जी गणपति जी को मैं,

तुरंत संदेसा भिजवाऊं,

बोलो बोलो जी कैलाश बसिया,

बोलो बोलो जी कैलाश बसिया,

मिली ना तेरी भंगिया,

लाऊं कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥


चंद्र निराला मस्तक सोहे,

अंग विभूति रमी हुई,

नाग भयंकर गले में लिपटे,

गंग जटा से बहती हुई,

डमरू बजावे शिव भोले जोगिया,

डमरू बजावे शिव भोले जोगिया,

मिली ना तेरी भंगिया,

लाऊं कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥


लाऊँ कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया,

ढूंढ ढूंढ मैं तो हार गया,

मैं तो हार गया,

मिली ना तेरी भंगिया,

लाऊं कहाँ से,

भोलेनाथ तेरी भंगिया ॥

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मेरा मन पंछी ये बोले,
उड़ वृन्दावन जाऊँ,

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