माँ दिल के इतने करीब है तू,
जिधर भी देखूं नज़र तू आए,
जो आँखे बंद करके माँ मैं देखूं,
तू ही तू मैया नज़र है आए,
मां दिल के इतने करीब है तू,
जिधर भी देखूं नज़र तू आए ॥
कोई है राजा है कोई भिखारी,
ये कैसी लीला है माँ तुम्हारी,
किसी को तरसाए एक दाना,
कही पे भंडार तू लगाए,
मां दिल के इतने करीब है तू,
जिधर भी देखूं नज़र तू आए ॥
रोजाना दर पे लगे है मेले,
नसीब वाले तो जय माँ बोले,
कोई माँ लाया है तेरा चोला,
किसी की आँखों में नीर आए,
मां दिल के इतने करीब है तू,
जिधर भी देखूं नज़र तू आए ॥
कोई माँ सोने का हार लाया,
माँ कोई चांदी का छत्र लाया,
किसी ने चुनरी है माँ चढ़ाई,
कोई तो बदहाल दर पे आए,
मां दिल के इतने करीब है तू,
जिधर भी देखूं नज़र तू आए ॥
माँ दिल के इतने करीब है तू,
जिधर भी देखूं नज़र तू आए,
जो आँखे बंद करके माँ मैं देखूं,
तू ही तू मैया नज़र है आए,
मां दिल के इतने करीब है तू,
जिधर भी देखूं नज़र तू आए ॥
उत्पन्ना एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है।
उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा के लिए समर्पित है।
हरि सुंदर नंद मुकुंदा,
हरि नारायण हरि ॐ
श्रीकृष्ण पूजन हिन्दू धर्म की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें भक्ति और पवित्रता का संगम होता है। इसे विशेषकर जन्माष्टमी या किसी शुभ अवसर पर किया जाता है।