माँ का नाम जपे जा हर पल,
लागे ना कोई मोल रे,
जय माता दी बोल रे तू,
जय माता दी बोल रे ॥
माता रानी की मन्त्र जो जपते,
माँ को लगते प्यारे,
महारानी माँ वैष्णो का तू,
निशदिन ध्यान लगा ले,
मन की अंगूठी में तू जड़ ले,
ये हीरा अनमोल रे,
जय माता दी बोल रे तू,
जय माता दी बोल रे ॥
जिसने जो माँगा दे डाली,
ऐसी है माँ दानी,
इनसे ना कोई भेद छुपा है,
सबके मन की जानी,
सबकी नेकी बदिया रही माँ,
सच की तराजू तोल रे,
जय माता दी बोल रे तू,
जय माता दी बोल रे ॥
लाल चुनरिया ओढ़ के बैठी,
गुफा में पिंडी रानी है,
माँ की महिमा कैसे जाने,
हम मूरख अज्ञानी है,
यहाँ वहां मत ढूढ़ सरल तू,
भीतर अपने टटोल रे,
जय माता दी बोल रे तू,
जय माता दी बोल रे ॥
माँ का नाम जपे जा हर पल,
लागे ना कोई मोल रे,
जय माता दी बोल रे तू,
जय माता दी बोल रे ॥
अन्नकूट पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण और गिरिराज यानी गोवर्धन की पूजा के लिए मनाया जाता है। 5 दिवसीय दिवाली त्योहार का धार्मिक रूप से एक महत्वपूर्ण पहलू है।
दीपों के पर्व दीपावाली को हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को बड़े उल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व के लिए लोग पहले से ही अपने घरों की सजावट और साफ-सफाई शुरू कर देते हैं, ताकि माता लक्ष्मी के स्वागत में कोई कमी ना रहे।
छोटी दिवाली दीयों से घर-आंगन को रोशन करने का पर्व है। इसका संबंध हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि से भी है। इस दिन घी और तेल के दीपक जलाने, यमराज के लिए दीपदान करने और अभ्यंग स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
रोशनी और सजावट के पर्व दीपावली में धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा विधि-विधान से पूर्ण की जाती है।