माँ के चरणों में ही तो, वो जन्नत होती है(Maa Ke Charno Mein Hi To Vo Jannat Hoti Hai)

जहाँ पे बिन मांगे,

पूरी हर मन्नत होती है,

माँ के चरणों में ही तो,

वो जन्नत होती है,

फीके लगते चाँद सितारे,

फीके लगते चाँद सितारे,

भी माँ तेरे आगे,

बार बार मैं वारि जाऊं,

नज़र कही ना लागे,

तू कितनी भोली है,

तू कितनी प्यारी है ॥


ममता की तू खान है मैया,

तेरा ना कोई मोल,

माँ बेटे का रिश्ता सबसे,

होता है अनमोल,

बेटा जो भूखा हो तो माँ,

बेटा जो भूखा हो तो माँ,

को भी कुछ ना भाए,

ना जाने किस रूप में मैया,

उसकी भूख मिटाए,

तू कितनी भोली है,

तू कितनी प्यारी है ॥


बेऔलादि में जब कोई,

बेटा नीर बहाए,

जगदम्बा की चौखट पर,

अपना दामन फैलाए,

खुशियों से दामन भर दे,

गोदी में लाल खिलाए,

खुशियों से दामन भर दे,

गोदी में लाल खिलाए,

या तो खुद माँ बनके बेटी,

उसके घर आ जाए,

तू कितनी भोली है,

तू कितनी प्यारी है ॥


माँ महिमा युगो युगो तक,

कभी लिखी ना जाए,

मेरी माँ जब भी मुस्काती,

जग जननी दिख जाए,

ये ममता का आँचल मैया,

ये ममता का आँचल मुझसे,

दूर कभी ना जाए,

माँ का कर्ज ना उतर सके,

ये बात ‘प्रकाश’ बताए,

तू कितनी भोली है,

तू कितनी प्यारी है ॥


जहाँ पे बिन मांगे,

पूरी हर मन्नत होती है,

माँ के चरणों में ही तो,

वो जन्नत होती है,

फीके लगते चाँद सितारे,

फीके लगते चाँद सितारे,

भी माँ तेरे आगे,

बार बार मैं वारि जाऊं,

नज़र कही ना लागे,

तू कितनी भोली है,

तू कितनी प्यारी है ॥

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वृश्चिक संक्रांति की पूजा विधि

संक्रांति मतलब सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना और इसका वृश्चिक राशि में प्रवेश वृश्चिक संक्रांति कहलाता है। यह दिन सूर्य देव की विशेष पूजा और दान करने के लिए शुभ है और व्यक्ति के भाग्योदय में होता है।

श्री रुद्राष्टकम् मंत्र (Sri Rudrashtakam Mantra)

॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ ॥ Shrirudrashtakam ॥
namaamishmishan nirvanarupam
vibhum vyapakam bramvedasvarupam .
nijam nirgunam nirvikalpam niriham
chidakashamakashavasam bhaje̕ham . 1.

नरसिंह भगवान की पूजा कैसे करें?

नरसिंह भगवान हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से चौथा अवतार हैं। उन्हें आधा मानव और आधा सिंह के रूप में दर्शाया जाता है। यह एक ऐसा अवतार था जो अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए लिया गया था।

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