शेरावाली माँ खजाने बैठी खोल के,
जोतावाली माँ खजाने बैठी खोल के,
दुख सबके हरती जय हो,
भंडार है भरती जय हो,
तकदीर बदलती जरा देर ना लगती,
जोतावाली माँ खजाने बैठी खोल के,
शेरावाली मां खजाने बैठी खोल के ॥
यहां हरपल दाती बांटती,
खुशियों के मोती,
यहां सुख के सारे,
रत्नों की है बारिश होती,
जो चाहिए ले लो जय हो,
आवाजे दे लो जय हो,
ये माँ का दर है,
तुम्हें किसका डर है,
जोतावाली माँ खजाने बैठी खोल के,
शेरावाली मां खजाने बैठी खोल के ॥
माँ रोज यहां कंगालो को,
धनवान बनाती,
वो झोपड़ी को बंगला,
आलिशान बनाती,
हर आशा तेरी जय हो,
कर देगी पूरी जय हो,
विश्वास रखो,
फिर जादू देखो,
जोतावाली माँ खजाने बैठी खोल के,
शेरावाली मां खजाने बैठी खोल के ॥
वो मिट्टी को भी छु ले तो,
सोना बन जाता,
अरे उसी से भिक्षा लेता,
जग का भाग्य विधाता,
जो जग की दाती जय हो,
जो सबको देती जय हो,
तुमको भी देगी,
हमको भी देगी,
जोतावाली माँ खजाने बैठी खोल के,
शेरावाली मां खजाने बैठी खोल के ॥
शेरावाली माँ खजाने बैठी खोल के,
जोतावाली माँ खजाने बैठी खोल के,
दुख सबके हरती जय हो,
भंडार है भरती जय हो,
तकदीर बदलती जरा देर ना लगती,
जोतावाली माँ खजाने बैठी खोल के,
शेरावाली मां खजाने बैठी खोल के ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 13 मई 2025 से ज्येष्ठ मास की शुरुआत हो रही है, जो 11 जून तक चलेगा। यह महीना गर्मी का चरम समय होता है और धार्मिक रूप से भी बहुत खास माना गया है। इस महीने को 'बड़ा महीना' भी कहा जाता है। सूर्य देव इस समय अपनी तेज किरणों से गर्मी बढ़ा देते हैं।
ज्येष्ठ माह हिंदू पंचांग का तीसरा महीना होता है, जिसे आम भाषा में ‘जेठ महीना’ कहा जाता है। यह महीना बहुत खास होता है क्योंकि इसमें न केवल भीषण गर्मी पड़ती है बल्कि कई धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के पर्व भी आते हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ का महीना 13 मई 2025 से शुरू होकर 11 जून 2025 तक रहेगा।
ज्येष्ठ माह हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना होता है, जिसे जेठ भी कहा जाता है। इस माह की शुरुआत हर साल मई में होती है, और इस साल यह 13 मई 2025 से शुरू हो रहा है। इस समय सूर्य अपनी पूरी ताकत के साथ चमकता है, जिससे गर्मी अपने चरम पर होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास साल का तीसरा महीना होता है और इस बार यह महीना 13 मई 2025 से शुरू होकर 11 जून 2025 तक रहेगा। यह महीना भगवान सूर्य को समर्पित माना जाता है और इसे पुण्य प्राप्ति का समय माना जाता है। इस मास में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है।