माँ रेवा थारो पानी निर्मल,
खलखल बहतो जायो रे..
माँ रेवा !
अमरकंठ से निकली है रेवा,
जन-जन कर गयो भाड़ी सेवा..
सेवा से सब पावे मेवा,
ये वेद पुराण बतायो रे !
चालीसा
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