मुँह फेर जिधर देखूं माँ तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥
गैरो ने ठुकराया अपने भी बदल गये है,
हम साथ चले जिनके वो दूर निकल गये है,
तेरे ही रहम पर हूँ, माँ तेरे ही रहम पर हूँ,
तू बख्श या ठुकराये,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥
माना के मैं पापी हूँ तुझे खबर गुनाहो की,
बस इतनी सजा देना मुझे मेरे खताओं की,
तेरे दर हो सर मेरा, तेरे दर हो सर मेरा,
और साँस निकल जाए,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥
हम ख़ाख़ नशीनो की क्या खूब तमन्ना है,
तेरे नाम से जीना है तेरे नाम पे मरना है,
मरना तो है वो तेरी, मरना तो है वो तेरी,
चौखट पे जो मर जाये,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥
सूरज और चंदा का आँखों में उजाला है,
मस्तक में अग्नि की प्रचंड ज्वाला है,
तेरी नजरे करम हो तो,माँ नजरे करम हो तो,
‘गुरदास’ भी तर जाए,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥
मुँह फेर जिधर देखूं माँ तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥
महाभारत में अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या पर लिटा दिया था। उस समय सूर्य दक्षिणायन था। इसलिए, भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया और माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन अपने प्राण त्यागे।
कार्तिगाई दीपम पर्व प्रमुख रूप से तमिलनाडु, श्रीलंका समेत विश्व के कई तमिल बहुल देशों में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
सनातन हिंदू धर्म में, कार्तिगाई का विशेष महत्व है। यह पर्व दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है। इस दिन लोग अपने घरों और आस-पास दीपक जलाते हैं।
जया एकादशी का उपवास हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की पूजा आराधना करने की मान्यता है।