महल को देख डरे सुदामा
का रे भई मोरी राम मड़ईया
कहाँ के भूप उतरे
इत उत भटकत,चहुँ ओर खोजत
मन में सोच करे
का रे भई मोरी राम मड़ईया
प्रभु से विनय करे
कनक अटारी चढ़ी बोली सुंदरी
काहे भटक रह्यो
सकल सम्पदा है गृह भीतर
दीनानाथ भरे
प्रथम द्वार गजराज विराजे
दूजे अश्व खड़े
तीजे द्वार विश्वकर्मा बैठे
हीरा-रतन जड़े
दीनानाथ तिन्हन के अंदर
जा पर कृपा करे
सूरदास प्रभु आस चरण की
दुःख दरिद्र हरे
हिंदू धर्म में कुंभ मेले का अत्यधिक महत्व है। इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। इस वर्ष महाकुंभ मेला 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है और 26 फरवरी को समाप्त होगा।
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक आयोजन है, जो 12 साल में एक बार होता है। वर्ष 2025 में यह मेला प्रयागराज में आयोजित हो रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु मोक्ष की प्राप्ति के लिए पवित्र स्नान करेंगे।
हिंदू तिथि के अनुसार, हर 12 साल में पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ महाकुंभ की शुरुआत होती है और महाशिवरात्रि पर खत्म होता है।
प्रयागराज, धर्म और आस्था की पवित्र नगरी, इन दिनों महाकुंभ की तैयारियों में जुटी है। संगम नगरी में लगने वाले इस महोत्सव में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु स्नान और पूजा के लिए पहुंचने वाले हैं। इस धार्मिक आयोजन के दौरान प्रयागराज के प्रमुख घाटों के साथ-साथ यहां के ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिरों के दर्शन करना भी एक खास अनुभव होता है।