नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते
शंख चक्र गदाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते
नमस्ते गरूडारूढे कोलासुर भयंकरि
सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते
जग मग जग मग दीप प्रज्ज्वलित
चहुँ ओर है व्याप्त प्रकाश
मंत्रोच्चार से गूँज रहे हैं
खण्ड खण्ड पृथ्वी आकाश
उत्सव है दीपावली
महालक्ष्मी का प्रवास
हारिये ना हिम्मत बिसारिये ना राम
महालक्ष्मी जाप करो सुबह शाम - आठों याम
अष्ट लक्ष्मी जाप करो सुबह शाम - आठों याम
कमल पुष्प पर शोभती अष्टलक्ष्मी माँ
आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी माँ
गज लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, धैर्या लक्ष्मी माँ
विजया लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी अष्ट रुपिणी प्रणाम
भण्डारे भरपूर पुण्य के, भली करेंगे राम
महालक्ष्मी जाप करो सुबह शाम आठों याम
अष्ट लक्ष्मी जाप करो सुबह शाम आठों याम
रिद्धि सिद्धि की स्वामिनी कष्ट निवारिणी माँ
पापाम मुक्ति दायिनी जग उद्धारिणी माँ
सुख शान्ति शुभ लाभ की देवी
करुणा प्रवाहिनी माँ
धूपम दीपम समर्प्यामी, ज्योतिर्मय हर धाम
महालक्ष्मी जाप करो सुबह शाम आठों याम
अष्ट लक्ष्मी जाप करो सुबह शाम आठों याम
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। दरअसल, यह व्रत देवाधिदेव महादेव शिव को ही समर्पित है। प्रदोष व्रत हर माह में दो बार, शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।
गुरु प्रदोष व्रत को भगवान शिव की पूजा और विशेष रूप से बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
विवाह एक पवित्र और 16 महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है, जो दो आत्माओं को जोड़ता है। लेकिन कई बार वैवाहिक जीवन में समस्याएं और बाधाएं आ जाती हैं, जो जीवन को कठिन बना देती हैं। ऐसे में प्रदोष व्रत एक शक्तिशाली तरीका है, जो विवाह की बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है।
प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक महीने में दो बार, त्रयोदशी तिथि को (स्नान, दिन और रात के समय के अनुसार) किया जाता है, एक बार शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में।