मैं भी बोलूं राम तुम भी बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना ॥
तू मृत्यु लोक में आया,
तुने राम नाम नहीं गाया,
दुनिया को अपना बनाया,
यूँ माया में भरमाया,
अब तो बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना,
मैं भी बोलु राम तुम भी बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना ॥
श्री राम की शरण में आजा,
क्यों दुनिया के पीछे भागे,
जरा बैठ के ध्यान लगाले,
अब सुन तो ले अभागे,
दर दर डोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना,
मैं भी बोलु राम तुम भी बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना ॥
तुने मनुष्य तन तो पाया,
विषयो में यू हीं गवाया,
मिठा है यह अमृत सा,
संतो ने स्वाद बताया,
तो रसमय होलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना,
मैं भी बोलु राम तुम भी बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना ॥
मैं भी बोलूं राम तुम भी बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना ॥
उगादि दक्षिण भारत में एक महत्वपूर्ण नववर्ष उत्सव होता है। "उगादि" शब्द संस्कृत के "युग" अर्थात् "युग की शुरुआत" और "आदि" अर्थात् "आरंभ" से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है नए युग का आरंभ।
सनातन धर्म में गुड़ी पड़वा त्योहार का विशेष महत्व है। इस त्योहार को चैत्र के महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, और इस तिथि से चैत्र नवरात्र शुरू होता है। इसके साथ ही हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है।
गुड़ी पड़वा मुख्य रूप से चैत्र माह में नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसी दिन से नववर्ष की शुरुआत भी होती है। इस साल गुड़ी पड़वा 30 मार्च, रविवार को मनाई जाएगी और इसी दिन चैत्र नवरात्रि भी शुरू होगी।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की थी। इस दिन घरों के बाहर गुड़ी कलश और कपड़े से सजा हुआ झंडा लगाया जाता है, जो शुभता और विजय का प्रतीक है।