मैं चाहूँ सदा दर तेरे आना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए,
तेरा दर ही तो सबका ठिकाना,
तेरा दर ही तो सबका ठिकाना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए,
मै चाहूं सदा दर तेरे आना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए ॥
तेरी चोखट शीश झुकाना,
आस है तेरा दर्शन पाना,
कभी तू भी मेरे घर आना जाना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए,
मै चाहूं सदा दर तेरे आना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए ॥
करता रहूँ मैं सुमिरण तेरा,
कोई नहीं इस जग में मेरा,
कट जाए चौरासी वाला फेरा,
तू यूँ ही बुलाना दातिए,
मै चाहूं सदा दर तेरे आना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए ॥
तेरे चरणों में रम जाऊं,
और कहीं अब क्यों मैं जाऊं,
मैं तो बन गया तेरा माँ दीवाना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए,
मै चाहूं सदा दर तेरे आना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए ॥
‘शान’ पे नजरे तेरी निगाहें,
‘जीत’ की मैया थामो बाहें,
अपने ‘योगी’ को चरणों से लगाना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए,
मै चाहूं सदा दर तेरे आना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए ॥
मैं चाहूँ सदा दर तेरे आना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए,
तेरा दर ही तो सबका ठिकाना,
तेरा दर ही तो सबका ठिकाना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए,
मै चाहूं सदा दर तेरे आना,
तू यूँ ही बुलाना दातिए ॥
गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं का पूजन किए जाने का विधान है। गुप्त नवरात्र का पर्व गृहस्थ से ज्यादा तंत्र, साधना कर्म और योग क्रियाओं के लिए बहुत सही समय माना जाता है।
आषाढ़ मास की नवरात्रि में एक ऐसी देवी की पूजा का विधान है जिनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।
गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं का पूजन किए जाने का विधान है। 10 महाविद्या की दूसरी शक्ति देवी तारा है।