मैं कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो,
मैं क्या चाहता हूँ,
ये तुम ही जानो,
मै कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जान ॥
ना दीनता है ना भाव भक्ति,
ना कुछ भजन है ना आत्मशक्ति,
मैं क्या देखता हूँ,
ये तुम ही जानो,
मै कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो ॥
दुनिया से मुझको फुर्सत ना मिलती,
तक़दीर की मेरी अटकन ना मिटती,
मैं क्या मांगता हूँ,
ये तुम ही जानो,
मै कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो ॥
यही दर्द दिल में तड़पन है भारी,
तेरे दर पे आया आगे मर्जी तुम्हारी,
मैं पागल बना हूँ,
ये तुम ही जानो,
मै कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो ॥
मैं कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो,
मैं क्या चाहता हूँ,
ये तुम ही जानो,
मै कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो ॥
माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप से करने से व्यक्ति को उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है।
थाईपुसम त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश की जीत और अज्ञानता पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। भक्तजन जीवन की बाधाओं को पार करने के लिए मार्गदर्शन पाने के लिए मुरुगन से प्रार्थना करते हैं।
हिंदू धर्म में अनेक तीथियां जो बेहद पावन मानी गई है उनमें से ही एक है त्रयोदशी तिथि। यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। इस दिन साधक प्रदोष व्रत रखते हैं।
प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। इसलिए, इसे त्रयोदशी के नाम से भी जानते हैं। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है।