मैं कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो,
मैं क्या चाहता हूँ,
ये तुम ही जानो,
मै कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जान ॥
ना दीनता है ना भाव भक्ति,
ना कुछ भजन है ना आत्मशक्ति,
मैं क्या देखता हूँ,
ये तुम ही जानो,
मै कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो ॥
दुनिया से मुझको फुर्सत ना मिलती,
तक़दीर की मेरी अटकन ना मिटती,
मैं क्या मांगता हूँ,
ये तुम ही जानो,
मै कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो ॥
यही दर्द दिल में तड़पन है भारी,
तेरे दर पे आया आगे मर्जी तुम्हारी,
मैं पागल बना हूँ,
ये तुम ही जानो,
मै कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो ॥
मैं कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो,
मैं क्या चाहता हूँ,
ये तुम ही जानो,
मै कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो ॥
सरस्वती नदी पौराणिक हिन्दू ग्रन्थों तथा ऋग्वेद में वर्णित मुख्य नदियों में से एक है। ऋग्वेद में सरस्वती का अन्नवती तथा उदकवती के रूप में वर्णन आया है। ऋग्वेद में सरस्वती नदी को अम्बितम (माताओं में श्रेष्ठ), नदितम (नदियों में श्रेष्ठ) एवं देवितम (देवियों में श्रेष्ठ) नामों से वर्णित किया गया है।
गंगा और यमुना की तरह नर्मदा नदी को भी हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है। नर्मदा नदी को मां दुर्गा से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए मां नर्मदा को हिंदू धर्म की सात पवित्र नदियों में भी शामिल किया गया।
प्राचीन भारतीय ग्रंथों में सिंधु के नाम से जानी जाने वाली सिंधु नदी हिंदू पौराणिक कथाओं और इतिहास का केंद्र रही है।
सप्त नदियों में कावेरी नदी का भी विशेष स्थान है। तमिलनाडु और कर्नाटक में ये अपने जीवनदायनी गुणों की वजह से प्रसिद्ध है। कावेरी नदी को भगवान दत्तात्रेय से जोड़कर देखा जाता है।