मैं तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
टैंट वाले तेरा क्या जाएगा-३,
मेरी मैया का पंडाल बन जाएगा,
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
बिजली वाले तेरा क्या जाएगा-३,
मेरी मैया का भवन जग मगाएगा,
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
हलवाई तेरा क्या जाएगा-३,
मेरी मैया का प्रसाद बन जाएगा,
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
ढोल वाले तेरा क्या जाएगा-३,
मेरी मैया का भजन बन जाएगा,
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
फूल वाले तेरा क्या जाएगा-३,
मेरी मैया का हार बन जाएगा,
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
होलाष्टक का समय फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से पूर्णिमा (होलिका दहन) तक रहता है। यह अवधि अशुभ मानी जाती है, इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते।
गोवर्धन पूजा का त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाता है। यह पर्व उस ऐतिहासिक अवसर की याद दिलाता है जब भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को प्रकृति के प्रकोप से बचाने के लिए इंद्र के अहंकार को कुचल दिया था।
नरसिंह द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के सिंह अवतार की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह रूप में अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।
एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार जब प्रह्लाद भगवान विष्णु की स्तुति गाने के लिए अपने पिता हिरण्यकश्यप के सामने अड़ गए, तो हिरण्यकश्यप ने भगवान हरि के भक्त प्रह्लाद को आठ दिनों तक यातनाएं दीं।