मैं तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
टैंट वाले तेरा क्या जाएगा-३,
मेरी मैया का पंडाल बन जाएगा,
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
बिजली वाले तेरा क्या जाएगा-३,
मेरी मैया का भवन जग मगाएगा,
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
हलवाई तेरा क्या जाएगा-३,
मेरी मैया का प्रसाद बन जाएगा,
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
ढोल वाले तेरा क्या जाएगा-३,
मेरी मैया का भजन बन जाएगा,
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
फूल वाले तेरा क्या जाएगा-३,
मेरी मैया का हार बन जाएगा,
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
मै तो लाई हूँ दाने अनार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के,
मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥
मार्च का महीना हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन और चैत्र महीने में बंटा होता है। इस महीने में प्रकृति अपने रंग-बिरंगे रूप में नज़र आती है। वसंत ऋतु की शुरुआत होती है और प्रकृति नए जीवन से भर जाती है।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। वहीं आज गुरुवार का दिन है। इस तिथि पर शतभिषा नक्षत्र और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है।
सनातन धर्म के पूज्यनीय ग्रंथ रामचरितमानस में शबरी की तपस्या और भगवान श्रीराम के प्रति निष्ठा भाव को दर्शाया गया है। रामचरितमानस में माता शबरी भगवान श्रीराम की अनन्य भक्तों में से एक खास भक्त थीं।
नवरात्रि की शुरुआत सितंबर माह से ही हो जाएगी। विजयादशमी के दिन भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था। इसी कारण से इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।