मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी,
अपने भोले की जोगन बनूँगी,
मैं तो पहनुँगी जोगन का चोला,
वो है पारस महादेव भोला,
चरण छु कर मैं कुंदन बनूँगी,
अपने भोले की जोगन बनूँगी,
मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी,
नही मिलते है अनुरागियों को,
शिव तो मिलते है बैरागियो को,
मैं भी उनकी बैरगान बनूँगी,
अपने भोले की जोगन बनूँगी,
मै तो शिव की पुजारन बनूँगी,
अपने भोले की जोगन बनूँगी,
करके जी जान से उसकी भक्ति,
शिव से माँगूंगी नारी की मुक्ति,
नारी जाती का दर्पण बनूँगी,
अपने भोले की जोगन बनूँगी,
मै तो शिव की पुजारन बनूँगी,
अपने भोले की जोगन बनूँगी,
मै तो शिव की पुजारन बनूँगी,
अपने भोले की जोगन बनूँगी
राम नाम के साबुन से जो,
मन का मेल भगाएगा,
हिंदू धर्म में सफला एकादशी एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। यह पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है।
साल 2024 में दिसंबर महीने में पड़ने वाली दूसरी एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। सफला एकादशी पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।
पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। देवी रुक्मिणी मां लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक थीं।