मैया के चरणों में,
झुकता है संसार,
तीनों लोक में होती,
माँ तेरी जय जयकार ॥
सुख में तो मैया तुझसे,
दूर रहा मैं,
धन पद यश के मद में,
चूर रहा मैं,
जब दुःख ने सताया,
तो आया तेरे द्वार,
तीनों लोक में होती,
माँ तेरी जय जयकार ॥
रक्त बीज को मैया,
तुमने ही मारा,
शुम्भ निशुम्भ को मैया,
तूने ही संहारा,
निर्मल मन से करती,
माँ भक्तों पे उपकार,
तीनों लोक में होती,
माँ तेरी जय जयकार ॥
भक्ति भाव से जो भी,
शीश झुका दे,
दुनिया का वैभव माँ तू,
उसपे लुटा दे,
‘अनुज सतेंद्र’ बखाने,
तेरी महिमा अपरम्पार,
तीनों लोक में होती,
माँ तेरी जय जयकार ॥
मैया के चरणों में,
झुकता है संसार,
तीनों लोक में होती,
माँ तेरी जय जयकार ॥
हे ज्योति रूप ज्वाला माँ,
तेरी ज्योति सबसे न्यारी है ।
होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा
और झूम रही दुनिया सारी,
हे त्रिपुरारी गंगाधरी
सृष्टि के आधार,
होली खेल रहे नंदलाल
वृंदावन कुञ्ज गलिन में ।