मैया तेरे नवराते हैं,
मैं तो नाचू छम छमा छम,
छमाछम छमाछम छमाछम,
मैया तेरे जगराते हैं,
मैं तो गाऊं तेरे गुण,
छमाछम छमाछम छमाछम,
तेरी धुन में मगन,
मेरा झूम रहा तन,
जैसे नाचे है मोर,
देख रिमझिम सावन,
जैसे घिर आए फिर बदरा,
घनन घनन घन,
छमाछम छमाछम छमाछम,
मैया तेरे नवराते है,
मैं तो नाचू छम छमा छम ॥
सज गई है सारी गलियां,
सज गए हैं चौबारे,
ऐसे में दिल ये मेरा,
मैया मैया पुकारे,
जी रहे हैं हम तो माता,
एक तेरे सहारे,
भर आएंगे मेरे नैना,
होंगे जो दर्शन तुम्हारे,
मैया मेरे घर में आना,
आकर कभी तू ना जाना,
करता रहूं तेरी सेवा,
हो जाए जीवन सुहाना,
तेरी धुन में मगन,
मेरा झूम रहा तन,
जैसे नाचे है मोर,
देख रिमझिम सावन,
जैसे घिर आए फिर बदरा,
घनन घनन घन,
छमाछम छमाछम छमाछम,
मैया तेरे नवराते है,
मैं तो नाचू छम छमा छम ॥
गा रही है सारी दुनिया,
गा रहे भक्त सारे,
ऐसे ही सदा मैया,
संग रहना हमारे,
तुमने दी है यह खुशियां,
तुमसे ही है उजियारे,
करना यूं ही कृपा माँ,
हम हैं बालक तुम्हारे,
आए हैं दिन यह सुहाने,
दर्शन के बिन दिल ना माने,
चरणों में दे दो जगह हम,
तेरे दरश के दीवाने,
तेरी धुन में मगन,
मेरा झूम रहा तन,
जैसे नाचे है मोर,
देख रिमझिम सावन,
जैसे घिर आए फिर बदरा,
घनन घनन घन,
छमाछम छमाछम छमाछम,
मैया तेरे नवराते है,
मैं तो नाचू छम छमा छम ॥
मैया तेरे नवराते हैं,
मैं तो नाचू छम छमा छम,
छमाछम छमाछम छमाछम,
मैया तेरे जगराते हैं,
मैं तो गाऊं तेरे गुण,
छमाछम छमाछम छमाछम,
तेरी धुन में मगन,
मेरा झूम रहा तन,
जैसे नाचे है मोर,
देख रिमझिम सावन,
जैसे घिर आए फिर बदरा,
घनन घनन घन,
छमाछम छमाछम छमाछम,
मैया तेरे नवराते है,
मैं तो नाचू छम छमा छम ॥
आज 18 जून 2025 को आषाढ़ माह का सातवां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष तिथि सप्तमी है। आज बुधवार का दिन है। सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा कुंभ से मीन राशि में प्रवेश करेंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह दिन धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ होता है, विशेष रूप से स्नान, दान और व्रत के लिए। यह व्रत पवित्रता, आत्मिक शुद्धि और पुण्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। यह तिथि वर्ष में एक बार आती है और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है। इस साल पूर्णिमा 10 जून, मंगलवार को सुबह 11:35 बजे शुरू होकर 11 जून, बुधवार को दोपहर 1:13 बजे समाप्त हो रही है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पूर्णिमा स्नान, दान और व्रत के साथ-साथ विशेष उपायों के लिए भी श्रेष्ठ मानी जाती है।