मन भजले पवनसुत नाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे,
तेरा बिगड़ा बनाने हर काम,
तेरा बिगड़ा बनाने हर काम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे,
मन भजले पवन सूत नाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥
स्वामी की भक्ति होती है कैसी,
हनुमत ने जग को दिखाया,
मन को मंदिर सुहाना,
राम को उसमे बिठाया,
तेरी भक्ति बड़ी निष्काम,
तेरी भक्ति बड़ी निष्काम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे,
मन भजले पवन सूत नाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥
भक्ति बिना जो सुना पड़ा है,
उस घर में दीपक जला ले,
मालिक की किरपा तुझपे रहेगी,
रूठे प्रभु को मना ले,
जाए जीवन की बीती शाम,
जाए जीवन की बीती शाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे,
मन भजले पवन सूत नाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥
बहता पानी गुजरी जवानी,
लौट के आए कभी ना,
अब भी वक्त है कर ले उपाय,
ये भी क्या जीना है जीना,
दो कौड़ी नहीं तेरा दाम,
दो कौड़ी नहीं तेरा दाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे,
मन भजले पवन सूत नाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥
चरणों में बहती ज्ञान की गंगा,
‘बबली’ तू डुबकी लगा ले,
जन्म जनम के बंधन से प्यारे,
इक पल में मुक्ति तू पा ले,
यही जीवन का है सार,
यही जीवन का है सार,
प्रभु श्री राम जी आएंगे,
मन भजले पवन सूत नाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥
मन भजले पवनसुत नाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे,
तेरा बिगड़ा बनाने हर काम,
तेरा बिगड़ा बनाने हर काम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे,
मन भजले पवन सूत नाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥
हर ग्रहण के दौरान एक सूतक काल होता है। जिसमें कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। सूतक काल का खास महत्व होता है। यह धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।
साल 2025 में चंद्र ग्रहण के बाद अब लोगों की निगाहें सूर्यग्रहण पर टिक गई हैं। यह साल का पहला सूर्यग्रहण होगा। इसे लेकर धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार विशेष सतर्कता बरती जानी चाहिए।
सूर्यग्रहण.... एक सुंदर और अद्भुत खगोलीय घटना है, जब ब्रह्मांड एक अनोखा दृश्य प्रस्तुत करता है।
तैत्तिरीय उपनिषद में अन्न को देवता कहा गया है- अन्नं ब्रह्मेति व्यजानत्। साथ ही अन्न की निंदा और अवमानना का निषेध किया गया है- अन्नं न निन्द्यात् तद् व्रत। ऋग्वेद में अनेक अनाजों का वर्णन है I