नवीनतम लेख
मन मोहन मूरत तेरी प्रभु,
मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं ।
यदि चाह हमारे दिल में है,
तूम्हे ढूँढ ही लेंगे कहीं ना कहीं ॥
काशी मथुरा वृंदावन में,
या अवधपुरी की गलियन में ।
गंगा यमुना सरयू तट पर,
मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं ॥
मन मोहन मूरत तेरी प्रभु,
मन मोहन मूरत तेरी प्रभु ।
घर बार को छोड संयासी हुए,
सबको परित्याग उदासी हुए ।
छानेगें वन-वन खाक तेरी,
मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं ॥
मन मोहन मूरत तेरी प्रभु,
मन मोहन मूरत तेरी प्रभु ।
सब भक्त तुम्हीं को घेरेंगे,
तेरे नाम की माला फरेंगे ।
जब आप ही खुद सरमाओगे,
हमें दर्शन दोगे कहीं ना कहीं ॥
मन मोहन मूरत तेरी प्रभु,
मन मोहन मूरत तेरी प्रभु ।
मन मोहन मूरत तेरी प्रभु,
मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं ।
यदि चाह हमारे दिल में है,
तूम्हे ढूँढ ही लेंगे कहीं ना कहीं ॥
........................................................................................................'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।