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मारने वाला है भगवान, बचाने वाला है भगवान (Marne Wala Hai Bhagwan Bachane Wala Hai Bhagwan)

मारने वाला है भगवान, बचाने वाला है भगवान (Marne Wala Hai Bhagwan Bachane Wala Hai Bhagwan)

श्रद्धा रखो जगत के लोगो,

अपने दीनानाथ में ।

लाभ हानि जीवन और मृत्यु,

सब कुछ उस के हाथ में ॥


मारने वाला है भगवान,

बचाने वाला है भगवान ।

बाल ना बांका होता उसका,

जिसका रक्षक दयानिधान ॥


त्याग दो रे भाई फल की आशा,

स्वार्थ बिना प्रीत जोड़ो ।

कल क्या होगा इस की चिंता,

जगत पिता पर छोड़ो ।

क्या होनी है क्या अनहोनी,

सब का उसको ज्ञान ॥


मारने वाला है भगवान,

बचाने वाला है भगवान ।

बाल ना बांका होता उसका,

जिसका रक्षक दयानिधान ॥


जल थल अगन आकाश पवन पर,

केवल उसकी सत्ता।

प्रभु इच्छा बिना यहाँ पर,

हिल ना सके एक पत्ता ।

उसी का सौदा यहाँ पे होता,

उस की शक्ति महान ॥


मारने वाला है भगवान,

बचाने वाला है भगवान ।

बाल ना बांका होता उसका,

जिसका रक्षक दयानिधान ॥

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महिला नागा साधु कैसे बनती हैं?

प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। 13 जनवरी को पहले दिन बड़ी संख्या में साधु संतों और श्रद्धालुओं ने पौष पूर्णिमा का स्नान किया। वहीं आज पहले शाही स्नान के मौके पर भी बड़ी संख्या में साधु संत स्नान करने पहुंचे। क्रम के मुताबिक साधु संतों ने स्नान किया। हालांकि इस दौरान लोगों के मुख्य आकर्षण का केंद्र नागा साधु रहे।

पुरूषों से कैसे अलग है महिला नागा साधुओं का पहनावा

भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के सबसे बड़ा पर्व महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालु और साधु-संत प्रयाग के संगम तट पर डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि इस आयोजन का एक मुख्य आकर्षण नागा साधुओं और साध्वियों की उपस्थिति है, जिनकी जीवनशैली हमेशा चर्चा का विषय रहती है।

कौन होती हैं महिला नागा साधु

मकर संक्राति पर 14 जनवरी को महाकुंभ का पहला अमृत (शाही) स्नान हुआ। इस दौरान 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। शाही स्नान सुबह 6 बजे शुरू हुआ और शाम 6 बजे खत्म हुआ। इस दौरान 13 अखाड़े के साधु संतों ने संगम में डुबकी लगाई।

जनवरी में शादी के 10 शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। यह वह अवधि होती है जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं और गुरु ग्रह के साथ युति बनाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस अवधि में सूर्य और गुरु दोनों ही प्रभावहीन हो जाते हैं जिसके कारण शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है।

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