मत कर तू अभिमान रे बंदे (Mat Kar Tu Abhiman Re Bande)

मत कर तू अभिमान रे बंदे,

जूठी तेरी शान रे ।

मत कर तू अभिमान ॥


तेरे जैसे लाखों आये,

लाखों इस माटी ने खाए ।

तेरे जैसे लाखों आये,

लाखों इस माटी ने खाए ।

रहा ना नाम निशान रे बंदे,

मत कर तू अभिमान ॥


मत कर तू अभिमान रे बंदे,

जूठी तेरी शान रे ।

मत कर तू अभिमान ॥


झूठी माया झूठी काया,

वो तेरा जो हरिगुण गाया ।

झूठी माया झूठी काया,

वो तेरा जो हरिगुण गाया ।

जप ले हरी का नाम ओ बन्दे

मत कर तू अभिमान ॥


मत कर तू अभिमान रे बंदे,

जूठी तेरी शान रे ।

मत कर तू अभिमान ॥


माया का अन्धकार निराला,

बाहर उजला अन्दर काला ।

माया का अन्धकार निराला,

बाहर उजला अन्दर काला ।

इस को तू पहचान रे बंदे,

मत कर तू अभिमान ॥


मत कर तू अभिमान रे बंदे,

जूठी तेरी शान रे ।

मत कर तू अभिमान ॥


तेरे पास हैं हीरे मोती,

मेरे मन मंदिर में ज्योति ।

तेरे पास हैं हीरे मोती,

मेरे मन मंदिर में ज्योति ।

कौन हुआ धनवान रे बंदे,

मत कर तू अभिमान ॥


मत कर तू अभिमान रे बंदे,

जूठी तेरी शान रे ।

मत कर तू अभिमान ॥


मत कर तू अभिमान रे बंदे,

जूठी तेरी शान रे ।

मत कर तू अभिमान ॥

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विवाह पंचमी पर क्या दान करें?

विवाह पंचमी का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन माता सीता और प्रभु श्री राम का विवाह हुआ था। विवाह पंचमी का पर्व सभी तिथियों में शुभ माना गया है। इस तिथि आदर्श दांपत्य जीवन का उदाहरण हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति के विवाह में कोई परेशानी आ रही है, तो इस दिन विधिवत रूप से राम जी और जानकी माता की पूजा की जाती है।

सांवरे को दिल में बसा के तो देखो(Sanware Ko Dil Me Basa Kar To Dekho)

कर्ता करे ना कर सके,
पर गुरु किए सब होये ।

श्री रुद्राष्टकम् मंत्र (Sri Rudrashtakam Mantra)

॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ ॥ Shrirudrashtakam ॥
namaamishmishan nirvanarupam
vibhum vyapakam bramvedasvarupam .
nijam nirgunam nirvikalpam niriham
chidakashamakashavasam bhaje̕ham . 1.

मार्गशीर्ष शुक्ल की मोक्षदा एकादशी (Margshersh Sukal Ki Mouchda Ekadashi) )

इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर बोले- हे दशी जनार्दन आपको नमस्कार है। हे देवेश ! मनुष्यों के कल्याण के लिए मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का नाम एवं माहात्म्य वर्णन कर यह बतलाइये कि उसकीएकादशी माहात्म्य-भाषा विधि क्या है?

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