माता महादेवी है नाम,
विराजी दशरमन में,
सेवा में पंडा हज़ार,
माई की मढुलिया में,
माता महादेवी हैं नाम,
विराजी दशरमन में ॥
आप विराजी सील में जाकर,
नगरी बसा दई नीचे आकर,
सेवा में सब नर नार,हए,
माई की मढुलिया में,
माता महादेवी हैं नाम,
विराजी दशरमन में ॥
नीचे विराजे राम लला जी,
संग में उनके सीता माँ भी,
सेवा में हनुमत लाल,
माई की मढुलिया में,
माता महादेवी हैं नाम,
विराजी दशरमन में ॥
नवराते में बोये जवारे,
द्वार तुम्हारे काली नाचे,
करते सब जय जयकार,
माई की मढुलिया में,
माता महादेवी हैं नाम,
विराजी दशरमन में ॥
भक्तों तुम भी अरज लगा लो,
अपने बिगड़े काज सवारो,
बनते हर बिगड़े काज,
माई की मढुलिया में,
माता महादेवी हैं नाम,
विराजी दशरमन में ॥
माता महादेवी है नाम,
विराजी दशरमन में,
सेवा में पंडा हज़ार,
माई की मढुलिया में,
माता महादेवी हैं नाम,
विराजी दशरमन में ॥
पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है, वह विशेष समय होता है जब हम अपने पूर्वजों और पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं।
जानें कौन सी तिथि पर श्राद्ध करने से मिलेगी आपके पूर्वजों की आत्मा को शांति
बिहार के गया जिले में इस वर्ष के आज से शुरू हो रहे पितृपक्ष मेले को लेकर विशेष तैयारियां पूर्ण की जा चुकी है।
गया में पितृपक्ष मेला एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसमें देश-विदेश से लाखों तीर्थ यात्रा अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए आते हैं