मैं तो तेरी हो गई श्याम,
दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने,
मैं तो तेरी हो गयी श्याम,
दुनिया क्या जाने ॥
तन भी तेरा ये मन भी तेरा,
घर भी तेरा ये धन भी तेरा,
मैंने जीवन कर दिया नाम,
दुनिया क्या जाने,
मैं तो तेरी हो गयी श्याम,
दुनिया क्या जाने ।
क्या जाने कोई क्या जाने,
मैं तो तेरी हो गयी श्याम,
दुनिया क्या जाने ॥
लोक लाज मैंने मान भी छोड़ा,
तेरे चरणों में मन को जोड़ा,
मैं तो रटूं तुम्हारा नाम,
दुनिया क्या जाने,
मैं तो तेरी हो गयी श्याम,
दुनिया क्या जाने ।
क्या जाने कोई क्या जाने,
मैं तो तेरी हो गयी श्याम,
दुनिया क्या जाने ॥
तू मेरा मैं तेरी होई,
तेरी प्रीत में सुध बुध खोई,
मुझे लोग करे बदनाम,
दुनिया क्या जाने,
मैं तो तेरी हो गयी श्याम,
दुनिया क्या जाने ।
क्या जाने कोई क्या जाने,
मैं तो तेरी हो गयी श्याम,
दुनिया क्या जाने ॥
शरण में आई गले लगाले,
मुझको बस सेवा में लगाले,
मेरा जीवन तेरे नाम,
दुनिया क्या जाने,
मैं तो तेरी हो गयी श्याम,
दुनिया क्या जाने ।
क्या जाने कोई क्या जाने,
मैं तो तेरी हो गयी श्याम,
दुनिया क्या जाने ॥
मैं तो तेरी हो गई श्याम,
दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने,
मैं तो तेरी हो गयी श्याम,
दुनिया क्या जाने ॥
सर्वप्रथम पहले की तरह आचमन कर पवित्री धारण करे। अपने ऊपर और पूजा-सामग्री पर जल का प्रोक्षण करे।
पहले बतलाये नियमके अनुसार आसनपर प्राङ्घख बैठ जाय। जलसे प्रोक्षणकर शिखा बाँधे ।
एकादशी पूजन में विशेष तौर से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है इस दिन पवित्र नदी या तालाब या कुआं में स्नान करके व्रत को धारण करना चाहिए
यह व्रत अति प्राचीन है। इसका प्रचलन महाभारत से भी पूर्व का है। यह व्रत सौभाग्यवती महिलाओं के लिए उत्तम माना गया है।