मेरे बाबा तुझे किसने सजाया,
दिल गया हार सांवरे,
मैं मुड़ मुड़ दर तेरे आया,
मुड़ मुड़ दर तेरे आया,
दिल गया हार सांवरे,
मेरे बाबा तुझें किसने सजाया,
दिल गया हार सांवरे ॥
मोर मुकुट कानो में कुण्डल,
सूर्य प्रभात सा है मुख मंडल,
तेरा रूप देख मन हर्षाया,
तेरा रूप देख मन हर्षाया,
दिल गया हार सांवरे,
मेरे बाबा तुझें किसने सजाया,
दिल गया हार सांवरे ॥
मोहिनी सूरत छटा अति प्यारी,
देवता भी जाते है बलिहारी,
किसने फूलों से श्रृंगार कराया,
किसने फूलों से श्रृंगार कराया,
दिल गया हार सांवरे,
मेरे बाबा तुझें किसने सजाया,
दिल गया हार सांवरे ॥
स्वर्ग से सुन्दर तेरा नज़ारा,
‘सुमित’ को बाबा दे दो सहारा,
अपने भावों से ‘रजत’ ने रिझाया,
अपने भावों से ‘रजत’ ने रिझाया,
दिल गया हार सांवरे,
मेरे बाबा तुझें किसने सजाया,
दिल गया हार सांवरे ॥
मेरे बाबा तुझे किसने सजाया,
दिल गया हार सांवरे,
मैं मुड़ मुड़ दर तेरे आया,
मुड़ मुड़ दर तेरे आया,
दिल गया हार सांवरे,
मेरे बाबा तुझें किसने सजाया,
दिल गया हार सांवरे ॥
माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है जो पितरों के मोक्ष के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके दान करने का महत्व है जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके कष्टों को दूर किया जा सकता है।
नर्मदा के पावन तटों पर माघ मास की मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहेगा। इस पावन पर्व पर पुण्य की डुबकी लगाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
हिंदू धर्म में सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है। इसे "सोमवार" या "सप्तमी" के नाम से जाना जाता है, और यह विशेष रूप से भगवान शिव और चंद्रमा यानी कि सोम से जुड़ा हुआ है।
माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 30 जनवरी 2025 से हो रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल 2 बार गुप्त नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है।