मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार (Mere Banke Bihari Lal Tu Itna Na Nario Shringar)

मेरे बांके बिहारी लाल,

तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नजर तोहे लग जाएगी ।


तेरी सुरतिया पे मन मोरा अटका ।

प्यारा लागे तेरा पीला पटका ।

तेरी टेढ़ी मेढ़ी चाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नजर तोहे लग जाएगी ॥

मेरे बांके बिहारी लाल...॥


तेरी मुरलिया पे मन मेरा अटका ।

प्यारा लागे तेरा नीला पटका ।

तेरे गुंगार वाले बाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नजर तोहे लग जाएगी ॥

मेरे बांके बिहारी लाल...॥


तेरी कमरिया पे मन मोरा अटका ।

प्यारा लागे तेरा काला पटका ।

तेरे गल में वैजयंती माल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नजर तोहे लग जाएगी ॥

मेरे बांके बिहारी लाल...॥


मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नजर तोहे लग जाएगी ।

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श्री गंगा चालीसा (Shri Ganga Chalisa)

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग ।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग ॥

होली और रंगों का अनोखा रिश्ता

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि ये खुशियां, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर त्योहार मनाते हैं। लेकिन क्या आपने ये कभी सोचा है कि होली पर रंग लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है, जो भगवान श्रीकृष्ण और प्रह्लाद से जुड़ी है।

घनश्याम तुम्हारे मंदिर में (Ghanshyam Tumhare Mandir Mein)

घनश्याम तुम्हारे मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ,

मेरा भोला हे भंडारी, जटाधारी अमली (Mera Bhola Hai Bhandari Jatadhari Amali)

मेरा शिव भोला भंडारी,
जटाधारी अमली,

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