मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥
नंदी की सवारी है,
गौरा मैया साथ है,
डोर ये जीवन की,
तेरे ही हाथ है,
सर्पों की गल में माला है,
पहने तन पे छाला है,
तन पे भस्म रमाते हैं,
महाकाल कहलाते हैं,
तीनो लोक तुझसे पावन,
हे दयालु हे शम्भू,
मेरे भोलें बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥
भूतों की सेना है,
भूतनाथ कहाते है,
रास रचा संग कान्हा के,
गोपेश्वर बन जाते है,
जो भी दर पे आता है,
झोली भर ले जाता है,
मन इच्छा फल पाता है,
तेरे ही गुण गाता है,
तीनो लोक तुझसे पावन,
हे दयालु हे शम्भू,
मेरे भोलें बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥
मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस तिथि पर मघा नक्षत्र और सुकर्मा योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा सिंह राशि में हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
होली तिथि 2025: होली खुशियों, उल्लास, रंगों और उत्साह का त्योहार है जिसका हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है। लोग अपने सारे गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे पर रंग और गुलाल लगाकर प्यार के रंग में सराबोर हो जाते हैं। होली का त्योहार पूरे देश में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस तिथि पर पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र और धृति योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा सिंह राशि में हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इस तिथि पर उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र और शूल योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा कन्या राशि में हैं और सूर्य मीन राशि में मौजूद हैं।