मेरे गणनायक तुम आ जाओ,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,
मेरे गणनायक तुम आ जाओ ॥
मेरी सखियाँ मुझसे पूछे है,
कब आएंगे गजमुख बोलो,
अब अष्ट विनायक आ जाओ,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,
मेरे गणनायक तुम आ जाओं,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,
मेरे गणनायक तुम आ जाओ ॥
मन व्याकुल है तन डोले है,
हर साँस मेरी यही बोले है,
अब गौरी नंदन आ जाओ,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,
मेरे गणनायक तुम आ जाओं,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,
मेरे गणनायक तुम आ जाओ ॥
गौरा के मन मन का तू गौरव,
शिव जी की अँखियों का तारा,
अब विघ्न विनाशक आ जाओ,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,
मेरे गणनायक तुम आ जाओं,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,
मेरे गणनायक तुम आ जाओ ॥
तेरा मुख मंगल की मूरत है,
तेरा दर्श ही गणपति अमृत है,
कभी मुझ पे दया बरसा जाओ,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,
मेरे गणनायक तुम आ जाओ,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,
मेरे गणनायक तुम आ जाओ ॥
मेरे मन में गणपति भक्ति रहे,
तेरी भक्ति ही दाता शक्ति रहे,
रंग ऐसा मुझपे चढ़ा जाओ,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,
मेरे गणनायक तुम आ जाओं,
मैं तो कबसे बाट निहार रही,
मेरे गणनायक तुम आ जाओ ॥
महाकुंभ, संतों और साधुओं का सबसे बड़ा समागम, हमेशा से अनोखे लोगों का गवाह रहा है। इनमें से एक हैं, मौनी बाबा, जिनका जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है। बुंदेलखंड के महोबा से आए मौनी बाबा का नाम आजकल हर जगह सुनाई दे रहा है।
यूपी के प्रयागराज में संगम नगरी में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन, महाकुंभ, आयोजित होने जा रहा है। इस ऐतिहासिक मेले की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
आस्था की नगरी प्रयागराज 12 साल बाद महाकुंभ 2025 के लिए पूरी तरह से तैयार है। देश के कोने-कोने से साधु-संतों का यहां पर लगातार आगमन हो रहा है। इस विशाल धार्मिक आयोजन में हरिश्चंद्र विश्वकर्मा, जिन्हें चाबी वाले बाबा के नाम से जाना जाता है, विशेष ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
महाकुंभ में देश के कोने-कोने से धर्मगुरु और साधु-संत एकत्र हुए हैं। इस विशाल मेले में हर दिन कोई न कोई ऐसा अद्भुत दृश्य दिखाई देता है जो लोगों को आश्चर्यचकित कर देता है।