मेरी चौखट पे चलके आज,
चारों धाम आए है,
बजाओ ढोल स्वागत में,
मेरे घर राम आये है,
कथा शबरी की जैसे,
जुड़ गई मेरी कहानी से,
ना रोको आज धोने दो चरण,
आँखों के पानी से,
बहुत खुश है मेरे आंसू,
के प्रभु के काम आए है,
बजाओ ढोल स्वागत में,
मेरे घर राम आए है ॥
तुमको पा के क्या पाया है,
श्रष्टि के कण कण से पूछो,
तुमको खोने का दुःख क्या है,
कौशल्या के मन से पूछो,
द्वार मेरे ये अभागे,
आज इनके भाग जागे,
बड़ी लम्बी इन्तेज़ारी हुई,
रघुवर तुम्हारी तब,
आयी है सवारी,
संदेशे आज खुशियों के,
हमारे नाम आये है,
बजाओ ढोल स्वागत में,
मेरे घर राम आये है ॥
दर्शन पा के हे अवतारी,
धन्य हुए है नैन पुजारी,
जीवन नैया तुमने तारी,
मंगल भवन अमंगल हारी,
निर्धन का तुम धन हो राघव,
तुम ही रामायण हो राघव,
सब दुःख हरना अवध बिहारी,
मंगल भवन अमंगल हारी,
चरण की धुल लेलूँ मैं,
मेरे भगवन आये है,
बजाओ ढोल स्वागत में,
मेरे घर राम आए है ॥
मेरी चौखट पे चलके आज,
चारों धाम आए है,
बजाओ ढोल स्वागत में,
मेरे घर राम आये है,
मेरे घर राम आये है ॥
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाने वाला छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मईया की आराधना का पर्व है। इस साल यह 5 नवंबर 2024 को नहाय-खाय से शुरू होगा और 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा।
लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर से नहाय खाय के साथ हो चुकी है। यह पर्व दिवाली के बाद मनाया जाता है और खासकर उत्तर भारत में इसका विशेष महत्व है।
छठ पूजा में खरना का दिन बहुत महत्व रखता है। इस दिन के बाद से व्रत करने वाले 36 घंटे तक बिना जल के उपवास रखते हैं। खरना के दिन व्रती नए मिट्टी के चूल्हे पर गुड़, दूध, और साठी के चावल से प्रसाद तैयार करते हैं।
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इसी दिन से व्रतधारी प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करते हैं। इस दिन खरना विशेष महत्व रखता है और इसे एकांत या बंद कमरे में संपन्न किया जाता है।