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मेरे राघव जी उतरेंगे पार, गंगा मैया धीरे बहो(Mere Raghav Ji Utrenge Paar, Ganga Maiya Dheere Baho)

मेरे राघव जी उतरेंगे पार, गंगा मैया धीरे बहो(Mere Raghav Ji Utrenge Paar, Ganga Maiya Dheere Baho)

मेरे राघव जी उतरेंगे पार,

गंगा मैया धीरे बहो,

मैया धीरे बहो,

मैया धीरे बहो,

मेरे राघव जी उतरेगे पार,

गंगा मैया धीरे बहो ॥


गहरी नदियां नाव पुरानी,

चले पुरवैया ना गति ठहरानी,

मेरे प्रियतम बड़े सुकुमार,

गंगा मैया धीरे बहो,

मेरे राघव जी उतरेगे पार,

गंगा मैया धीरे बहो ॥


राम सिया और लखन विराजे,

शीश जटा तन मुनिपट साजे,

आज शोभा बनी है अपार,

गंगा मैया धीरे बहो,

मेरे राघव जी उतरेगे पार,

गंगा मैया धीरे बहो ॥


पुलक शरीर नीर अंखियन में,

आनंद मगन होत दर्शन में,

भवसागर से मोहे उतार,

गंगा मैया धीरे बहो,

मेरे राघव जी उतरेगे पार,

गंगा मैया धीरे बहो ॥


मेरे राघव जी उतरेंगे पार,

गंगा मैया धीरे बहो,

मैया धीरे बहो,

मैया धीरे बहो,

मेरे राघव जी उतरेगे पार,

गंगा मैया धीरे बहो ॥

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गंगा दशहरा स्नान-दान मुहूर्त

गंगा दशहरा हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मां गंगा के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है।

गंगा दशहरा पर करें ये दान

गंगा दशहरा, इस वर्ष 5 जून को मनाया जाएगा। यह पर्व गंगा मैया के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है और इस दिन का विशेष महत्व गंगा स्नान और दान-पुण्य के लिए होता है।

गंगा दशहरा की कथा

गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और श्रद्धा से जुड़ा पर्व है, जिसे ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।

गंगा दशहरा पर स्तोत्र पाठ

गंगा दशहरा का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। यह पर्व गंगा मैया के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है और इस दिन का विशेष महत्व गंगा स्नान, दान-पुण्य और पितृ तर्पण से जुड़ा होता है।

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