बाबा देखो मेरी ओर,
मैं हूँ अति कमजोर,
मेरे साथ रहना,
बाबा देखो मेरी ओर ॥
नैया है भवर में खाये रे हीचकोले,
संभालो पतवार,
मैंने किये लाखों जतन मेरे बाबा,
गया हूँ अब हार,
गया हूं अब हार,
संभालो पतवार,
बाबा देखो मेरी ओर,
मैं हूँ अति कमजोर,
मेरें साथ रहना,
बाबा देखो मेरी ओर ॥
तू ही मेरा मालिक तू ही है एक साथी,
सिखाया है यही,
तू ही गर रूठे तो जाएंगे कहाँ ये,
बताया ही नहीं,
बताया ही नहीं,
सिखाया ही नहीं,
बाबा देखो मेरी ओर,
मैं हूँ अति कमजोर,
मेरें साथ रहना,
बाबा देखो मेरी ओर ॥
जग का सताया तूने ही अपनाया,
तुम्हीं से मेरी आस,
चाहे आधी रातो में तुझको बुलाऊ,
आएगा मेरे पास,
आएगा मेरे पास,
है पूरा विश्वास,
बाबा देखो मेरी ओर,
मैं हूँ अति कमजोर,
मेरें साथ रहना,
बाबा देखो मेरी ओर ॥
तुझसे ना छानी ‘सचिन’ की कहानी,
तू जाने सारी बात,
तेरे आगे बाबा समर्पण मेरा,
उठाऊं दोनो हाथ,
उठाऊं दोनो हाथ,
संभालो दीनानाथ,
बाबा देखो मेरी ओर,
मैं हूँ अति कमजोर,
मेरें साथ रहना,
बाबा देखो मेरी ओर ॥
बाबा देखो मेरी ओर,
मैं हूँ अति कमजोर,
मेरे साथ रहना,
बाबा देखो मेरी ओर ॥
अक्षय तृतीया एक अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है, जिसे ‘अबूझ मुहूर्त’ कहा जाता है। यानी इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती।
अक्षय तृतीया अत्यंत शुभ और फलदायी तिथि मानी जाती है। हिंदू धर्म में यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका फल अक्षय अर्थात् कभी नष्ट न होने वाला होता है। इस दिन धन, सौभाग्य और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा की जाती है।
अक्षय तृतीया अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। इसे ‘अबूझ मुहूर्त’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।
शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं होती है। इसी कारण विवाह, गृह प्रवेश और व्यापार शुरू करने के लिए यह दिन श्रेष्ठ माना जाता है।