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मेरे शंकर भोले भाले,
बेड़ा पार लगाते है,
हर दुःख संकट में,
शिव भोले ही काम आते है ॥
सागर से निकला हलाहल,
देवों में मच गई हलचल,
सब देवता मिल के शिव के,
गुण गाने लगे वो हरपल,
शिव पीकर विष देवों के,
संकट को मिटाते है,
हर दुःख संकट में,
शिव भोले ही काम आते है ॥
जब भक्त भगीरथ गंगा,
को धरती पर ले आए,
गंगा का वेग भयंकर,
इस धरती पर ना समाए,
गंगा को शिवजी अपनी,
जटाओं में समाते है,
हर दुःख संकट में,
शिव भोले ही काम आते है ॥
ऋषियों ने गो हत्या का,
गौतम पे दोष लगाया,
जप तप कर ऋषि गौतम ने,
शिव जी को खूब मनाया,
गंगाजल से गौतम का,
शिव दोष मिटाते है,
हर दुःख संकट में,
शिव भोले ही काम आते है ॥
देवों के संग दानव ने,
जब जब भी युद्ध मचाया,
सब देव जनो ने मिलकर,
शिव जी का ध्यान लगाया,
भोले भंडारी से सब,
वरदान पाते है,
हर दुःख संकट में,
शिव भोले ही काम आते है ॥
मेरे शंकर भोले भाले,
बेड़ा पार लगाते है,
हर दुःख संकट में,
शिव भोले ही काम आते है ॥
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