मेरी फरियाद सुन भोले,
तेरे दर आया दीवाना,
मन की मुरादें पूरी कर,
सिवा तेरे ना कोई ठिकाना,
मेरी फरियाद सुन भोलें,
तेरे दर आया दीवाना ॥
कैसे मनाऊं तुझको भोले,
जानू ना तेरी पूजा,
तुझपे अर्पण जीवन मेरा,
तुझ बिन ना कोई दूजा,
मेरी अर्जी सुन भोले,
है हँसता सारा ज़माना,
मेरी फरियाद सुन भोलें,
तेरे दर आया दीवाना ॥
सच्चे मन से आया भोले,
दर्शन करने मैं तेरा,
दूध चढ़ा के तुमको रिझाऊं,
सुन संदेसा मेरा,
ये ‘राजा गोहेर’ मांगे प्रभु,
चरण धूलि का नजराना,
मेरी फरियाद सुन भोलें,
तेरे दर आया दीवाना ॥
मेरी फरियाद सुन भोले,
तेरे दर आया दीवाना,
मन की मुरादें पूरी कर,
सिवा तेरे ना कोई ठिकाना,
मेरी फरियाद सुन भोलें,
तेरे दर आया दीवाना ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा सप्तमी का पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं।
भानु सप्तमी एक महत्वपूर्ण दिन है, जो सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष विधान शास्त्रों में वर्णित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सप्तमी तिथि पर सूर्य देव अवतरित हुए थे। इसलिए इस तिथि पर सूर्य देव की पूजा और व्रत करने का विधान है।
भानु सप्तमी इस साल 4 मई, रविवार को है और इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। सप्तमी तिथि को बड़ा ही शुभ माना जाता है, खासकर जब यह रविवार के दिन पड़ती है। इस दिन मध्याहन के समय सूर्य देव की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
भानु सप्तमी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति को अपने जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भानु सप्तमी का व्रत करने से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि यह आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है।