मेरी लगी शंभू से प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने,
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने क्या जाने,
मेरी लगी शम्भू से प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने ॥
मां गौरा की सुनो कहानी,
जो है सदाशिव की पटरानी,
तज सती देह उमां कल्याणी,
हिमगिरी के घर जन्मी भवानी,
मैना की हरी सब पीर,
ये दुनिया क्या जाने,
मेरी लगी शम्भू से प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने ॥
अखियां शिव दर्शन की प्यासी,
मन में है दिन रेन उदासी,
मात-पिता से आज्ञा मांगी,
तप के हेतु हुई बनवासी,
लागी शिव चरणों से प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने,
मेरी लगी शम्भू से प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने ॥
कठिन तपस्या मां ने कीन्ही,
शिव ने उमा परीक्षा लीन्ही,
प्रीति उमा की मन में चीन्ही,
तब विवाह की आज्ञा दीन्ही,
तब हुई प्रीत की जीत,
ये दुनिया क्या जाने,
मेरी लगी शम्भू से प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने ॥
मेरी लगी शंभू से प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने,
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने क्या जाने,
मेरी लगी शम्भू से प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने ॥
हफ्ते का पहला दिन यानी सोमवार भोलेनाथ को समर्पित होता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। भोलेनाथ, जो त्रिदेवों में से एक हैं, को कई नामों से जाना जाता है जैसे - महादेव, शंकर, रुद्र, नीलकंठ और गंगाधर।
हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित माना गया है। इस दिन भक्त बड़े ही श्रद्धा और भक्ति भाव से हनुमान जी की पूजा करते हैं। माना जाता है कि हनुमान जी को प्रसन्न करना ज्यादा कठिन नहीं है।
हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। ठीक ऐसे ही बुधवार का दिन प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी का होता है। सनातन धर्म में गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता यानी बाधाओं को दूर करने वाला देवता माना गया है।
हमारे हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है।