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मेरी मैया जी कर दो नज़र(Meri Maiya Ji Kardo Nazar)

मेरी मैया जी कर दो नज़र(Meri Maiya Ji Kardo Nazar)

मेरी मैया जी कर दो नज़र,

ज़िन्दगी मेरी जाए संवर,

मेरी मईया जी कर दो नज़र ॥


तेरे द्वारे हूँ कबसे खड़ी,

हाथ फूलों की लेकर लड़ी,

आस दिल में है दीदार की,

मैं हूँ प्यासी तेरे प्यार की,

देख दामन ये खाली मेरा,

मेरी मईया जी कर दो नज़र,

ज़िन्दगी मेरी जाए संवर,

मेरी मईया जी कर दो नज़र ॥


है महामाया माँ तार दे,

शारदे शारदे शारदे,

चूम लूँ मैया तेरे चरण,

सारे दुख दर्द हो जा हरण,

बस इतनी कृपा करदे माँ,

तेरी चौखट ही हो मेरा घर,

मेरी मईया जी कर दो नज़र,

ज़िन्दगी मेरी जाए संवर,

मेरी मईया जी कर दो नज़र ॥


तेरे दर की पुजारन रहूं,

मैं सदा ही सुहागन रहूं,

तेरा सिंगार करके सदा,

मांग सिंदूर से मैं भरूं,

माँ की भक्ति में बेनाम की,

ज़िन्दगी सारी जाए गुज़र,

मेरी मईया जी कर दो नज़र,

ज़िन्दगी मेरी जाए संवर,

मेरी मईया जी कर दो नज़र ॥


मेरी मैया जी कर दो नज़र,

ज़िन्दगी मेरी जाए संवर,

मेरी मईया जी कर दो नज़र ॥

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वैशाख मास की अमावस्या पर क्या न करें

भारतीय संस्कृति में अमावस्या तिथि का हमेशा से विशेष महत्व रहा है। खासकर वैशाख मास की अमावस्या, जिसे 'वैशाख अमावस्या' कहा जाता है। यह तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ मानी जाती है।

परशुराम जयंती 2025 तिथि

परशुराम जयंती, भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है, जिसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है और अक्षय तृतीया के साथ इसका संयोग इस दिन को और भी शुभ बनाता है।

वैशाख अमावस्या पूजा की कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। यह तिथि पितरों की शांति के लिए विशेष मानी जाती है और इस दिन स्नान, दान, जप, और तर्पण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

परशुराम जयंती क्यों मनाई जाती है

परशुराम जयंती सनातन धर्म के एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।

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