मेरी वैष्णो मैया,
तेरी महिमा अपरम्पार,
कलियुग में हर प्राणी के,
कलियुग में हर प्राणी के,
पापो का करो उद्धार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
हर एक प्राणी परलोक सवारे,
तेरे चरण में अपने पाप उतारे,
हर एक प्राणी परलोक सवारे,
तेरे चरण में अपने पाप उतारे,
करुणामई तू सबके पापो,
का करती संहार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
ध्यानु भगत माँ तेरा गुण गाया,
तूने प्रेम अपना सारे भक्तो पे लूटाया,
ध्यानु भगत माँ तेरा गुण गाया,
श्रीधर सेवक को तूने गले से लगाया,
धन्य है तेरी कृपा मैया,
धन्य है तेरा प्यार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
उँचे पहाड़ा बैठी वैष्णो भवानी,
कठिन चढ़ाई चढ़के आए कल्याणी,
उँचे पहाड़ा बैठी वैष्णो भवानी,
कठिन चढ़ाई चढ़के आए कल्याणी,
तेरे दर्शन मात्र से मैया,
सुख पाए संसार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
ज्ञान जगा दो अब तो हम सबका माँ,
कायम रख सके भक्त की गरिमा,
ज्ञान जगा दो अब तो हम सबका माँ,
कायम रख सके भक्त की गरिमा,
‘देवेंद्र’ ‘कैलाश’ की माँ है,
हृदय से ये पुकार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
मेरी वैष्णो मैया,
तेरी महिमा अपरम्पार,
कलियुग में हर प्राणी के,
कलियुग में हर प्राणी के,
पापो का करो उद्धार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना को अत्यंत फलदायक माना गया है। विशेष रूप से प्रदोष व्रत को बहुत ही पावन और शुभ माना जाता है। इस व्रत को हर महीने की त्रयोदशी तिथि (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में) को रखा जाता है। मई 2025 में पहला प्रदोष व्रत वैशाख शुक्ल त्रयोदशी को आएगा, जो कि शुक्रवार के दिन है।
भारत एक ऐसा देश है जहां हर राज्य की अपनी अलग परंपरा और संस्कृति है। केरल का त्रिशूर पूरम ऐसा ही एक रंगीन और भव्य उत्सव है, जो न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी एक खास आकर्षण होता है।
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत बड़ा महत्व होता है। पंचांग के अनुसार हर महीने में दो एकादशी आती हैं – एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस तरह साल भर में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं।
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है, खासकर जब बात भगवान विष्णु को समर्पित व्रत की हो। साल भर में 24 एकादशियां आती हैं, लेकिन वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।