मेरी विपदा टाल दो आकर (Meri Vipda Taal Do Aakar)

मेरी विपदा टाल दो आकर,

हे जग जननी माता ॥


तू वरदानी है,

आद भवानी है,

माँ तू वरदानी है,

आद भवानी है,

क्या में तेरा लाल नहीं हूँ,

क्या तू माँ नहीं मेरी,

फिर क्यों लगाई देरी,

तू ही कहदे है ये कैसा,

माँ बेटे का नाता,

शेरों वाली माता,

शेरों वाली माता ॥


में अज्ञानी हूँ,

मूरख प्राणी हूँ,

माँ में अज्ञानी हूँ,

मूरख प्राणी हूँ,

जिस पर भी तुमने,

ओ मेरी मैया,

दृष्टि दया की डाली,

उसकी मिटी कंगाली,

तेरे दर पे आकर प्राणी,

मुँह माँगा वर पाता,

मेहरो वाली माता,

हे जग जननी माता ॥


मात भवानी हो,

जग कल्याणी हो,

माँ मात भवानी हो,

जग कल्याणी हो,

लख्खा तेरे दर पे आया,

धूल चरण की पाने,

सोया भाग्य जगाने,

तेरी चौखट छोड़ के शर्मा,

और कहाँ अब जाता,

हे जग जननी माता ॥


मेरी विपदा टाल दो आकर,

हे जग जननी माता,

शेरों वाली माता,

मेहरो वाली माता ॥


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बता दो कोई माँ के भवन की राह (Bata Do Koi Maa Ke Bhawan Ki Raah)

बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥

आयेगा मेरा श्याम, लीले चढ़ करके (Aayega Mera Shyam. Lile Chadh Karke)

दिल से जयकारा बोलो,
संकट में कभी ना डोलो,

भगवान परशुराम का फरसा इस जगह गड़ा है

भारत देश के झारखंड राज्य के गुमला जिले में स्थित टांगीनाथ धाम, भगवान परशुराम के शक्तिशाली फरसे के रहस्य के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान रांची से लगभग 150 किलोमीटर दूर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जिसे धार्मिक आस्था और विश्वास का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर राशि अनुसार उपाय

भक्त वत्सल के इस लेख में आप जान सकते हैं, भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर राशि अनुसार क्या दान करने से सभी कार्यों में सफलता मिलेगी।

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